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[ जैन प्रतिमाविज्ञान गस्तुविद्या (विश्वकर्मा कृत), दीपार्णव (सं० प्रभाशंकर ओघडमाई सोमपुरा, पालिताणा, १९६०) का २२ वां अध्याय वास्तुसार प्रकरण (ठक्कुर फेरू कृत), अनु० भगवानदास जैन, जैन विविध ग्रन्थमाला, जयपुर, १९३६ विविधतीर्थकल्प (जिनप्रभसूरि कृत), सं० मुनि श्री जिनविजय, सिंघी जैन ग्रंथमाला १०, कलकत्ता-बंबई, १९३४ शान्तिनाथ महाकाव्य (मुनिभद्रसूरि कृत), सं० हरगोविन्ददास तथा बेचरदास, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला २०,
बनारस, १९४६ समराइच्चकहा (हरिभद्रसूरि कृत), सं० एच० जैकोबी, कलकत्ता, १९२६ समवायांगसूत्र, अनु० घासीलाल जी, राजकोट, १९६२; सं० कन्हैयालाल, दिल्ली, १९६६ स्तुति चतुर्विशतिका या शोभन स्तुति (शोभनसूरि कृत), सं० एच० आर० कापडिया, बंबई, १९२७ स्थानांगसूत्र, सं० घासीलाल जी, राजकोट, १९६४ हरिवंशपुराण (जिनसेन कृत), सं० पन्नालाल जैन, ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थ माला, संस्कृत ग्रंथांक २७,
वाराणसी, १९६२
(ख) आधुनिक ग्रंथ-एवं-लेख-सूची अग्रवाल, आर० सी०,
(१) 'जोधपुर संग्रहालय की कुछ अज्ञात जैन धातु मूर्तियां', जैन एष्टि०, खं० २२, अं० १, जून १९५५,
पृ०८-१० (२) 'सम इन्टरेस्टिंग स्कल्पचर्स ऑव दि जैन गाडेस अम्बिका फाम मारवाड़', इंहि क्वा०, खं० ३२, अं०४,
दिसंबर १९५६, पृ० ४३४-३८ (३) 'सम इन्टरेस्टिंग स्कल्पचर्स ऑव यक्षज़ ऐण्ड कुबेर फ्राम राजस्थान', इं०हि०क्वा०, खं० ३३, अं० ३,
सितंबर १९५७, पृ० २००-०७ (४) 'ऐन इमेज ऑव जीवन्तस्वामी फाम राजस्थान', अ०ला०बु०, खं० २२, भाग १-२, मई १९५८,
पृ० ३२-३४ (५) 'गाडेस अम्बिका इन दि स्कल्पचर्स ऑव राजस्थान', क्वा०ज०मि०सो०, खं ४९, अं० २, जुलाई १९५८,
पृ० ८७-९१
(६) 'न्यूली डिस्कवर्ड स्कल्पचर्स फाम विदिशा', ज०ओ०ई०, खं० १८, अं० ३, माचं १९६९, पृ० २५२-५३ अग्रवाल, पी० के०,
'दि ट्रिपल यक्ष स्टैचू फ्राम राजघाट', छवि, वाराणसी, १९७१, पृ० ३४०-४२ अग्रवाल, वी० एस०,
(१) 'दि प्रेसाइडिंग डीटी ऑव चाइल्ड बर्थ अमंग्स्ट दि ऐन्शण्ट जैनज', जैन एण्टि०, खं० २, अं० ४,
मार्च १९३७, पृ० ७५-७९ (२) 'सम ब्राह्मनिकल डीटीज इन जैन रेलिजस आर्ट', जैन एण्टि०, खं० ३, अं०४, मार्च १९३८, पृ०८३-९२ (३) 'सम आइकानोग्राफिक टर्स फाम जैन इन्स्क्रिप्शन्स', जैन एण्टि, खं० ५, १९३९-४०, पृ०४३-४७ (४) 'ए फ्रग्मेण्टरी स्कल्प्चर ऑव नेमिनाथ इन दि लखनऊ म्यूजियम', जैन एण्टि०, खं०८, अं० २, दिसंबर
१९४२, पृ० ४५-४९
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