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________________ पावा की अवस्थिति सम्बन्धी विभिन्न मत : ६९ करने हेतु विद्वानों ने गम्भीर प्रयास किया है। इन विद्वानों ने अपनी मान्यता के पक्ष में यथासम्भव साहित्यिक एवं पुरातात्त्विक प्रमाण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस क्रम में हर्मन याकोबी' ही प्रथम विद्वान् हैं जिन्होंने महावीर के निर्वाण-स्थल के विषय में मुख्यतः निम्न दो स्थलों की चर्चा की है-प्रथम बौद्ध साहित्य के आधार पर पावा शाक्य राज्य में स्थित थी जहाँ महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था और बुद्ध ने महापरिनिर्वाण पूर्व अन्तिम प्रवास किया था। दूसरा स्थल जैन धर्मावलम्बियों के मान्यतानुसार महावीर के निर्वाण-तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध वर्तमान नालन्दा जिले के अन्तर्गत राजगृह के समीप स्थित पावा । हर्मन याकोबी पावा के विषय में असमंजस की स्थिति में हैं। एक ओर वे यह मानकर चलते हैं कि जिस प्रकार पावा काल्पनिक हो सकती है उसी प्रकार महावीर के निर्वाण की घटना भी काल्पनिक हो सकती है। दूसरी ओर उनका मानना है कि महावीर निर्वाण स्थली के सम्बन्ध में जैनों की परम्परा के विषय में शंका करना उचित नहीं हैं। याकोबी के मत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुनि नागराज ने कहा है कि सम्भव है बौद्ध शास्त्रों में जिस पावा का उल्लेख किया गया है, नामसाम्य के कारण उसमें कुछ भूल हुई हो और ऐसी भूलों का होना असम्भव भी नहीं है लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि निर्वाण सम्बन्धी सम्पूर्ण तथ्य ही मनगढन्त हैं। वस्तुस्थिति यह है कि ऐतिहासिक साक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में पावा के विषय में याकोबी की शंका निमूल सिद्ध होती है । परम्परा और इतिहास में बहुधा आकाश-पाताल का अन्तर हो जाता है। परम्परा सम्मत पावा दक्षिण बिहार में है वहाँ के भव्य मन्दिरों ने उसे जैन तीर्थ बना दिया है। लेकिन ऐतिहासिक एवं साहित्यिक साक्ष्य निश्चित रूप से इसके प्रतिकूल प्रतीत होते हैं । महावीर के निर्वाण के अवसर पर मल्लों और लिच्छवियों के १८ गणराजाओं की उपस्थिति दक्षिणी बिहार के पावा में सम्भव नहीं है क्योंकि वह उनके शत्रु प्रदेश मगध में स्थित थी। १. याकोबी, हर्मन-'सेक्रेड बुक्स आव दी ईस्ट' वाल्यू० ३१, पृ० ९, १९ २६४, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस लंदन, १८४४ । २. मुनि, नगराज-आगम और त्रिपिटक....एक अनुशीलन-भाग-१, पृ० ५४, कलकत्ता १९२० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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