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६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
होगा । पर " श्रेष्ठिग्राम" की लेखांकित मुद्रा की उपलब्धि से अब कोई सन्देह नहीं रह गया है कि इस स्थान का प्राचीन नाम “श्रेष्ठिग्राम" था, न कि " चेतिया ग्राम" जिसका समीकरण पावा से संभव हो ।
श्री भगवती प्रसाद खेतान ने ऐतिहासिक, भौगोलिक, साहित्यिक एवं पुरातात्त्विक साक्ष्यों का समीक्षण कर यह सिद्ध कर दिया है कि प्राचीन अपापा या पावा पडरौना से भिन्न नहीं था । वर्षों के भगीरथ परिश्रम से ऐतिहासिक तथ्यों का मनन और अवगाहन कर यह स्थापित किया है कि प्राचीन पावा पडरौना था न कि नालन्दा का निकटवर्ती पावा नामक स्थल, जिसकी ऐतिहासिकता १६वीं शती से पूर्व नहीं जाती । आशा है इस प्रामाणिक ग्रन्थ का विद्वान् और मनीषी उचित मान
करेंगे ।
वाराणसी श्री महावीर जयन्ती १८-४-८९
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