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________________ ३४ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श युगों में मल्लराष्ट्र कोशल से बिल्कुल स्वतन्त्र होकर अलग राष्ट्र हो गया था । इसी क्रम में कुशावती का पुनरुत्थान हुआ। इससे स्पष्ट है कि चन्द्रकेतु के वंशजों (मल्लों) का वर्चस्व महाभारत काल के पश्चात् तक बना हुआ था। इस क्षेत्र के महाभारतकालोन अन्य राज्यों की तुलना में मल्ल राज्य का अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । बुद्ध काल के पूर्व महाजनपद युग का आरम्भ हो चुका था। बुद्धचर्या' से ज्ञात होता है कि ईसा की सातवीं सदी पूर्व भी मध्य देश सोलह महाजनपदों में विभाजित था। इन महाजनपद में लड़ाइयाँ भी होती थीं, परन्तु आपस में सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध कभी बाधित नहीं हुआ। ई० पूर्व छठी शताब्दी में राजनैतिक स्थिति कुछ बदल गयी थी क्योंकि कोशल ने काशी को अपने साथ मिला लिया था और मगध ने अंग को । दक्षिण में, कोशल की सीमा काशी तक पहुंचती थो। जहां शायद काशी के लोगों का मान रखने के लिए प्रसेनजित का छोटा भाई ठीक उसी तरह काशिराज बना हुआ था जैसे मगध द्वारा अंग पर अधिकार हो जाने के बाद भी चम्पा के शासक को अंगराज सम्बोधित किया जाता था। मल्लराष्ट्र-बुद्धयुग बुद्धकाल में महाजनपद युग में गणतन्त्र-शासन प्रणालो अपनी चरमोत्कर्ष पर थी। भारतीय इतिहास का महाजनपद युग लगभग १००० वर्ष ईसापूर्व से आरम्भ होकर लगभग ५०० वर्ष ई० पू० तक माना जाता रहा है। बौद्ध साहित्य से मल्लराष्ट्र की विस्तृत जानकारी प्राप्त है। मल्लराष्ट्र उस काल के १६ महाजनपदों में अग्रणी था । अंगुत्तर निकाय में १६ महाजनपदों की सूची इस प्रकार मिलती है १. बुद्धचर्या, सं० राहुल सांकृत्यायन, महाबोधिसभा, सारनाथ, बनारस, १९५२,। "सो इमेसं सोलसत्रं महाजनपदानं पहूतसत्तरतनान इस्सराधिपच्च रज्ज कारेय्य, सेय्यथींद-अंगानं, मगधानं, कासीनं, कोसलानं, वज्जीनं, मल्लानं, चेतीनं (चेतीयान), वंसानं, कुरुनं पञ्चालानं, मच्छानं, सूरसेनानं, अस्सकानं, अवत्तीनं, गन्धारानं, कम्बोजान" २. अंगुत्तरनिकाय (मूल), खण्ड ४, पृ० २५२, २५६, २६०, बिहार राजकीय पालि प्रकाशन मण्डल, नव नालन्दा, १९६० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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