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________________ ३२६ भविल : (भविल इव नादत्ते दारखं पादपरित्राणम्, ४०८ । १ ) : महामुनि भ्रमणिका ( राजाद्य भ्रमणिकायां गतस्तरुमूल १०१।९ उत्त० ) : वाटिका, श्रुतसागर ने इसका अर्थ वनक्रीड़ा किया है । मुद्रित प्रति का भूमणिकायां पाठ अशुद्ध है । भृशायमान ( ५३।३ उत्स० ) : तेज गतिशील भायः (४२६।८ ) : बहनोई भोजप्रबन्ध तथा मो० वि० में भी यह शब्द आया है । भुजिष्या (सरस्वती विनोदभुजिष्येव, २२३।७ ) : गणिका भूदेवः (८८/९ उत्त० ) : ब्राह्मण भोगीन्द्रः (५०४।८ ) : शेषनाग मकरः ( उन्मत्तमकरकरास्फालनोत्ताललहरिका, २०९।१ उत्त० ) : जलगज मठः ( मठस्थानमिदं नैव, ३८३।८ ) : छात्रालय मण्डलः (१२/५ ) : कुत्ता मण्डलव्यूहः ( दण्डासंहतभोगमण्डलविधीन्, ३०४१५ ) : मण्डलाकार व्यूह रचना मण्डूकी (१५३।६ उत्त० ) : मेंढकी मध्यस्थ : ( त्रिविष्टपव्यापारपरायणावस्थे मध्यस्थे, २५० ३ ) : यम मधुकः (मधुक लोक विहित मंगलानि, २२८/१९ ) : बन्दिजन, स्तुतिपाठक मन्दः (स्त्रीवृन्दमित्र मन्दस्य, ७२ ) : नपुंसक मन्दः (९५ | ६ ) : शनिश्चर नामक गृह Jain Education International यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन मन्दीरम् (पुराणतरमन्दीर मेखलालंकृत३९८।६) : मथानी की रस्सी मनीषा ( गुणेषु ये दोषमनीष - यान्धाः, ११।१ ) : बुद्धि मयः (मेषमहिषमय मातंग, १४४|१, मय मुक्तस्फोसफेन, ५२४।३) : ऊँट मयुः ( मयुमिथुन संगीतकानन्दिनि, २३०१२) : किन्नर, गन्धर्व मरालः (मरालकुलकामिनी, २०७१४ उत्त ० ) : हंस मराली (२४९।४): हंसी मरिच (गुडपिप्पलिमधुमरिचैः, ५१२/१०) : मिर्च मल्लिकाक्षः (अनेक मल्लिकाक्षकुटुम्बिनी, २०८/२ उत्त० ) : हंस विशेष महामण्डलः (महामण्डला व गुण्ठितगलनाल, ३०९ । ३ ) : सर्प विशेष महीनः (यस्येत्थं तव महिमा महीन ) : पृथ्वीपति, राजा । मही- पृथ्वी उसका इनः - स्वामी महीन । मृगदंशः (१८६५ उत्त० ) : कुत्ता मृगधूर्तः (परव्यसनान्वेषणाय मृगधूर्तस्येव मन्दमन्दप्रचारः, ४३९ ८ ) : सियार मृगादनी (वल्लयोऽपि मृगादनी प्रायः, २००७ उत्त० ) : एक प्रकार की लता मृषोद्यम् (७२/१) : असत्य वचन माकन्दः ( माकन्दमं जरी हृदयंगमः, २१३ १, माकन्दमंजरीव पुष्पाकरस्य, २२३०३) : आम्र मागधी (रघुवंशमिव मागधीप्रभवम्, १९४ | ३ उत्त० ) : पिप्पली For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002134
Book TitleYashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1967
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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