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________________ $0 भगबती सूत्रम् शेः ९ उ. ३२ महावीर गंगेया ! सब्बे वि ताव रयणप्पभाए होज्जा अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा जाव... अहवा रयणप्पभाए य आहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा एवं जाव... अहवा रयणप्पभाए य सक्कर पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए बालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होज्जा जाव... अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए असत्तमाए होज्जा | अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए धूमाए होज्जा । एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा तिरहं तियासंजोगो भणिओ तहा भाणियव्वं जाव...3 .. अहवा रणभाए तमाए य आहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए य सक्करपभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होज्जा | अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाव... अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा | अहवा रयणप्पभाएं सक्करप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा । एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउन्हं चउक्कगसंजोगो भणिओ तहा भाणियव्वं जाव... अहवा रयणप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए जाव. पंकप्पभाए तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए जाव... पंकप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए य होज्जा । एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा पंचन्हं पंचगसंजोगो तहा भाणियवं जाव... अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए . अहे सत्तमा एय होज्जा | अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव... धूमप्पभाए तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए जाव... . धूमप्पभाए असत्तमा य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए" जाव... पंकप्पभाए तमाए य असत्तमाए य होज्जा । अंहंवा रयणप्पभीए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पंकप्पभाए जाव... आहेसत्तमाए य होज्जा । अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए जाव... अहेसत्तमाए होज्जा | अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए .. अहेसत्तमाएं य होज्जा | जाव... + य जाव... * Mahāvīra - Gāngeya ! There is not a single optimum, but seven optima all of which may hold. One may be that all of them are in Ratnaprabha hell, or in Ratnaprabha and
SR No.002133
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK C Lalwani
PublisherJain Bhawan Publication
Publication Year1985
Total Pages266
LanguageEnglish, Prakrit
ClassificationBook_English, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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