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________________ भगवती सूत्रम् शः ९ उः ३२ रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा। एवं जाव...अहवा दस रयणप्पभाए संखज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा जाव...अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा एवं जहा रयणप्पभा उवरिमपुढवीहिं समं चारिया एवं सक्करप्पभा वि उवरिमपुढवीहिं समं चारेयव्वा । एवं एक्केक्का पुढवी उवरिम पुढवीहिं समं चारेयन्वा जाव...अहवा संखेज्जा तमाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखज्जा वालुयप्पभाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव... अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव...अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा। एवं एएणं कमेणं एक्केक्को संचारेयव्वो। अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव...अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव...अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा तिण्णि रयणणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं एक्केक्को रयणप्पभाए संचारेयवो जात्र...अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखज्जा वालयप्पभाए होज्जा जाव" अहवा संखज्जा रयणप्पभाए संखज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखज्जा पंकप्पमाए होज्जा जाव'' अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो वालुयप्पभाए संखज्जा पंकप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो चउक्कसंजोगो जाव: सत्तगसंजोगो य जहा दसहं तहेव भाणियव्वो। पच्छिमो आलावगो सत्तसंजोगस्स अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए जाव... संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । is as Mahävira-Gāngeya ! In that case, the distribution follows :
SR No.002133
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK C Lalwani
PublisherJain Bhawan Publication
Publication Year1985
Total Pages266
LanguageEnglish, Prakrit
ClassificationBook_English, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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