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छट्ठो उद्धेसो
CHAPTER SIX
[transformation by one with a wrong outlook] प्रश्न १२८-अणगार णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलडीए वेउव्वियलद्धीए विभंगणाणलद्धीए वाणारसिं णयरी समोहए । समोहणित्ता रायगिहे णयरे रूवाइं जाणइ पासइ ?
उत्तर १२८-हंता जाणइ पासइ ।
प्रश्न १२९-से भंते ! कि तहाभावं जाणइ पासइ अण्णहाभावं जाणइ पासइ?
उत्तर १२९-गोयमा ! णो तहाभावं जाणइ पासइ अण्णहाभावं जाणा पास।
प्रश्न १३०-से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ–णो तहाभाव जाणइ पासइ अण्णहाभावं जाणइ पासइ ?
उत्तर १३०-गोयमा! तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं रायगिहे णयरे समोहए। समोहणित्ता वाणारसीए णयरीए रूवाइं जाणामि पासामि । से से दसणे विवच्चासे भवइ । से तेणद्वेणं जाव...पासइ।
प्रश्न १३१-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी जाव... रायगिहे णयरे समोहए। समोहणित्ता वाणारसीए णयरीए रूवाइं जाणइ पासइ?
उत्तर १३१-हंता जाणइ पासइ। तं चैव जाव...तस्स णं एवं हवइ-एवं खलु अहं वाणारसीए णयरीए समोहए । समोहणित्ता रायगिहे णयरे रूवाई जाणामि पासामि । से से दंसणे विवच्चासे भवइ । से तेणठेणं जाव... अण्णहाभावं जाणइ पासइ ।