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________________ २१८ उपासकदशांग : एक परिशीलन सूत्र में १० राजधानियों में चम्पा का वर्णन मिलता है।' चंपा व्यापार का मुख्य केन्द्र थी। वहां दूर-दूर से व्यापारी माल लेकर आते और वापस माल लेकर मिथिला आदि को जाते थे। वर्तमान में भागलपुर से २४ मील पर जो पत्थर घाट है उसी के आस-पास इसे माना जाता है । २ । २. वाणिज्यग्राम-आनन्द का निवास वाणिज्य ग्राम में माना गया है। यह वैशाली के सन्निकट गंडकी नदी के तट पर स्थित है। वर्तमान में इसका नाम बानिया या बजिया गांव है, जो आधुनिक बसाढ़ के पास है। ३. वाराणसी-चुलनिपिता और सुरादेव वाराणसी में निवास करते थे। यह गंगा के पश्चिमी तट पर बसा हुआ नगर है। इसके एक ओर वरुणानदी तथा दूसरी ओर अस्सीनाला बहता है, अतः दोनों के बीच में होने से इसे वाराणसी कहते हैं । यह काशी जनपद की राजधानो थी तथा राजनैतिक, व्यापारिक, बौद्धिक व धार्मिकता का केन्द्र थी।" ४. आलभिया-चुल्लशतक आलभिया नगरी में निवास करता था।' आलभिया नगर आलभिया जनपद की राजधानी थी। यह श्रावस्ती से ३० योजन व राजगृह से १२ योजन दूर है। कनिङ्घम तथा हार्नले ने इसकी पहचान उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के नावाल एवं नेवाल नामक स्थान से बताई है, परन्तु नन्दलाल डे के मतानुसार इटावा से २७ मील दूर अविवा नामक स्थान ही आलभिया है। परन्तु देवेन्द्र मुनि के अनुसार महावीर के विवरण क्षेत्रों पर विचार करने पर उपर्युक्त मत की पुष्टि नहीं होती १. स्थानांगसूत्र, १०/७१७ २. उवासगदसाओ -मुनि मधुकर, १/३ ३. उपासकदशांगसूत्र-मुनि आत्माराम, पृष्ठ ३८८ ४. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि-भगवान महावीरः एक अनुशीलन, परिशिष्ट, पृष्ठ ८० ५. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, ३/१२४, ४/१५० ६. उपासकदशांगसूत्र-मुनि आत्माराम, पृष्ठ ३८८ ७. जैन, प्रेमसुमन–कुवलयमाला का सांस्कृतिक अध्ययन, पृष्ठ ७१ ८. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, ५/१५७ २. उपासकदशांगसूत्र-मुनि आत्माराम, पृष्ठ ३८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org .
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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