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________________ प्रकाशकीय प्रत्येक धर्म में आस्था के केन्द्र, उपास्य और आदर्श के रूप में किसी महान् व्यक्तित्व को स्वीकार किया जाता है। ऐसे महनीय व्यक्तित्व को हिन्दु परम्परा में ईश्वरावतार के रूप में, बौद्ध परम्परा में बद्ध के रूप में एवं जैन परम्परा में तीर्थंकर के रूप में स्वीकार किया गया है। इस प्रकार तीर्थंकर, बुद्ध एवं ईश्वरावतार की अवधारणाए क्रमशः जैन, बौद्ध एवं हिन्दू धर्म का आधार हैं। भारतीय धर्मों की इस त्रिवेणी के उपास्य के रूप में स्वीकृत तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणाओं के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित इस शोध-प्रबन्ध को प्रकाशित करते हुए आज हमें अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है । यह ग्रन्थ भारत की इन प्राचीन तीनों धर्मों/परम्पराओं पर तुलनात्मक दष्टि से विचार करते हुए उनमें निहित समन्वयात्मक सूत्रों को खोजने का प्रयत्न है। डा. रमेशचन्द्र गुप्त ने पाश्र्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के शोधछात्र के रूप में इस शोध-प्रबन्ध को तैयार किया था जिस पर उन्हें सन् १९८६ में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने पी.-एच. डी. की उपाधि प्रदान की थी। इस शोध प्रबन्ध के परीक्षक पं. दलसुखभाई मालवणिया की अनुशंसा पर इसके प्रकाशन का निश्चय किया गया। हम ग्रन्थ के लेखक डा. रमेशचन्द्र गुप्त के तो आभारी हैं ही, इसके साथ ही साथ शोध-प्रबन्ध के विषयचयन से लेकर उसके प्रकाशन तक के समस्त प्रयासों के लिए संस्थान के निदेशक डा० सागरमल जैन का भी आभार व्यक्त करते हैं। यह उनके ही प्रयत्नों का सुफल है कि संस्थान में भारतीय धर्म और दर्शनों के तुलनात्मक अध्ययन की प्रवृत्ति विकसित हो रही है। इस ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए हमें डा. रमणलाल शाह की प्रेरणा से जैन युवक मण्डल, बम्बई के द्वारा दस हजार रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ, अतः हम मण्डल के न्यासियों के प्रति भी अपना हार्दिक आभार प्रकट करते हैं। साथ ही ग्रन्थ के प्रफ संशोधन के लिए हम शोध सहायक डा० शिव प्रसाद, श्री अशोक कुमार सिंह एवं प्रकाशन सहायक श्री महेश कुमार के भी आभारी हैं। इसी प्रकार इसके सुन्दर व सत्वर मुद्रण के लिए वर्द्धमान प्रेस का भी आभारी हूँ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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