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________________ ( ४ ) में उन्होंने जैनधर्म में महिलाओं की स्थिति का मूल्यांकन करने का जो प्रयत्न किया है, उससे प्रस्तुत कृति के महत्त्व में भी अभिवृद्धि हुई है । ग्रन्थ प्रकाशन हेतु हमें बोरदिया परिवार से जो आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है, उसके लिए भी हम उनके आभारी हैं । यद्यपि प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में लेखिका ने कुछ समकालीन ( १९वीं२०वीं शती ) साध्वियों का विवरण प्रस्तुत किया था, किन्तु हमारी दृष्टि में उसे विस्तार देना आवश्यक था, अतः हमें समकालीन जैन साध्वियों के सन्दर्भ में जो भी सूचनात्मक एवं विवरणात्मक लेख प्राप्त हो सके उन्हें यथावत् या संक्षिप्त करके सम्पादक डॉ० सागरमल जैन ने ग्रन्थ के अन्त में परिशिष्ट के रूप में दे दिया है, अतः उन सभी लेखकों एवं प्रकाशकों के प्रति भी हम आभार व्यक्त करते हैं, जिनके लेखों का संकलन प्रस्तुत कृति में किया गया है । प्रस्तुत कृति के सम्पादन और प्रूफ संशोधन में डॉ० इन्द्रेश चन्द्र सिंह ने जो विशेष श्रम किया उसके लिए संस्थान उनके प्रति आभार व्यक्त करता है । सम्पादन, प्रकाशन और प्रूफ संशोधन आदि कार्यों में डॉ० शीतिकण्ठ मिश्र, डॉ० अशोक कुमार सिंह, श्री दीनानाथ शर्मा एवं डॉ० त्रिवेणी प्रसाद सिंह का भी सहयोग हमें प्राप्त हुआ है । हम इन सभी के आभारी हैं । अन्त में सुन्दर कलापूर्ण मुद्रण के लिए हम वर्द्धमान मुद्रणालय को धन्यवाद देते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only भूपेन्द्रनाथ जैन मंत्री www.jainelibrary.org:
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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