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________________ तीर्थकर महावीर के युग की जैन साध्वियां एवं विदुषी महिलाएँ : १२७ सार्थवाह ने रोहिणी की चतुराई से प्रसन्न होकर उसे गृहस्थी के अनेक रहस्यपूर्ण कार्यों में परामर्शदात्री नियुक्त किया तथा अन्य पुत्रवधुओं को उनकी योग्यता के अनुसार गहस्थी के अन्य कार्यों का दायित्व सौंपा। यहाँ पर रोहिणी की विलक्षण कार्यक्षमता एवं विचारशक्ति का परिचय प्राप्त होता है। रोहिणी-मूल्यांकन-इस दृष्टान्त से प्रतीत होता है कि उस समय की महिलाओं की बुद्धिमत्ता तथा कार्य निपुणता की परीक्षा ली जाती थी। यह रूपक साधु-साध्वी के आचार के लिये भी उपयुक्त है। जो साधु-साध्वी अनगार धर्म के पाँच महाव्रतों की रक्षा करते हैं, वे इसी जन्म में दूसरे साधु, साध्वी तथा श्रावक श्राविकाओं में पूजनीय होते हैं। 'नन्दा : कौशाम्बी राज्य के मंत्री सुगुप्त की पत्नी नन्दा दया तथा करुणा की 'मूर्ति थी। तीर्थंकर महावीर के प्रति उसमें अपार श्रद्धा एवं दृढ़ निष्ठा थी। राजरानी मृगावती से उसे अप्रतीम स्नेह था और इसीलिए उन दोनों के मध्य सखी भाव था। एक बार तीर्थंकर महावीर कौशाम्बी एवं उसके चतुर्दिक् विस्तीर्ण 'भागों में भ्रमण कर रहे थे। एक दिन महावीर भिक्षा प्राप्त करने के लिए नन्दा के निवास की ओर चले उन्हें अपने निवास की ओर आता देखकर नन्दा को अपार हर्ष हुआ। वह उत्साहित होकर उठी और अर्पित करने योग्य भिक्षा लेकर मुनि के समक्ष उपस्थित हुई। नन्दा द्वारा दिये गये भोज्य सामग्री से अभिग्रह पूरा न होने का अनुभव कर तपस्वी तत्क्षण आगे बढ़ गये । नन्दा कुछ ही क्षणों में हर्ष और विषाद की इस घटना से अत्यन्त व्यथित हुई। उसने इस सम्पूर्ण घटना को जानकारी रानी मगावती तक पहुंचाई। श्रद्धावान् नारी द्वय ने अपने-अपने पति से इस बारे में अपनी चिन्ता व्यक्त की, लेकिन वे भी यह नहीं बतला पाये कि तपस्वी मुनि का अभिग्रह क्या था । १. वही, अ. ७, पृ० २३५ २. आवश्यकचूणि प्र० पृ० ३१६-१७, आवश्यकनियुक्ति ५२०-२२, विशेषा वश्यकभाष्य १९७६, कल्पसूत्रवृत्ति (विनयविजय) पृ० १७०, कल्पसूत्रवृत्ति (धर्मसागर) पृ० १०९ ३. कल्पसूत्र, ८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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