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________________ गांधीवादी अहिंसा २४३ दुलारती-पुकारती हैं कि वे सही राह पर नहीं आ पाते, क्योंकि वे चाहती हैं कि उनके बच्चों को किसी प्रकार का कष्ट न हो। किन्तु इस प्रकार बच्चों को सही मार्ग पर न ले जाकर, उन्हें कष्टों से बचाना अहिंसा नहीं बल्कि अंध-प्रेमवश अज्ञानता से उत्पन्न होनेवाली हिसा है। इसके अलावा' - १. अहिंसा सर्वश्रेष्ठ मानवधर्म है, इसमें पशुबल से अनंतगुणी अधिक शक्ति एवं महानता है। २. फिर भी यह उन लोगों के लिए लाभदायिका नहीं होती, जिन्हें परमेश्वर में श्रद्धा नहीं है। ३. इससे व्यक्ति के स्वाभिमान और सम्मान-भावना की रक्षा होती है। ४ यदि कोई व्यक्ति अथवा राष्ट्र अहिंसा का पालन करना चाहे तो सर्वप्रथम उसे अपना आत्म-सम्मान आदि सर्वस्व त्यागने को तैयार रहना चाहिए। ५ अहिंसा की एक यह भी विशेषता है कि इसकी सहायता बालक, युवा, वृद्ध, स्त्री-पुरुष सब ले सकते हैं। ६ अहिंसा जितना ही लाभ एक व्यक्ति को प्रदान कर सकती है उतना ही एक जन-समूह को अथवा एक राष्ट्र को। यदि कोई ऐसा समझता है कि यह केवल व्यक्ति के लिए ही लाभ कर है तो ऐसा समझना उस व्यक्ति की भूल है, नासमझी है। अहिंसा न रूढ़िवाद है, न उपयोगितावाद : __ रूढ़िवाद को अपनानेवालों में से कोई व्यक्ति गोमांस खाता है और कोई नहीं खाता है। लेकिन यदि गोमांस न खानेवाला यह कहता है कि वह गोमांस खानेवाले से अच्छा है, क्योंकि वह मांस नहीं खाता, तो ऐसी बात सही नहीं समझी जा सकती। यदि गोमांस खानेवाले व्यक्ति के दिल में दया है, सहानुभूति है तो वही अहिंसक है, वही अच्छा व्यक्ति है बजाय उसके जो गोमांसादि तो नहीं खाता, १. गांधीजी, अहिंसा, द्वितीय भाग, खंड १०, पृष्ठ १६८-१६६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002125
Book TitleJain Dharma me Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasistha Narayan Sinha
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2002
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size13 MB
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