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- जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन माध्यात्मिक विकास क्रम, पं० सुखलाल संघवी, गुर्जर ग्रन्थ रत्न कार्यालय,
अहमदाबाद, सन् १९२८ । माप्तपरीक्षा स्वोपज्ञ वृत्ति, मुनि विद्यानन्द, प्रकाशक जैन साहित्य प्रसारक,
बम्बई, वी. नि० सं० २४५७ आरोग्य, वर्ष २२, अंक २, अगस्त, १९६८, गोरखपुर आर णिकोपनिषद् ( एक सौ आठ उपनिषद् ), संपा० बासुदेव लक्ष्मण शास्त्री,
प्रकाशक पांडुरंग जावजी, बम्बई, चतुर्थ संस्करण सन् १९३२ आवश्यकनियुक्ति दीपिका, भा०१, भाष्यकार माणिक्य शेखर सूरि, जैन ग्रंथमाला,
सूरत, सन् १९३९ आवश्यक नियुक्ति, हरिभद्र, आगमोदय समिति, बम्बई, सन् १९१६ माहत् दर्शनदीपिका, मंगल विजयजी, यशोविजय जैन ग्रंथमाला, वी०सं० २४५८
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(इ)
इष्टोपदेश, पूज्यपाद स्वामी, परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई, सन् १९५४
उतराध्ययनसूत्रम्, भा० २-३, अनु० आत्माराम जी महाराज, जैन शास्त्रमाला . कार्यालय, लाहोर, प्रथमावृत्ति, १९४२ उपासकाध्ययन, सोमदेवमूरि, संपा वै लाशचंद्र शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ,
वाराणसी, ई० सन् १९६४ उपासकदशांगसूत्रम्, अनु० आरमारामजी महाराज, संपा० इन्द्रचंद्र शास्त्री
आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना, सन् १९६४
ऐतरेय उपनिषद् ( १०८ उपनिषद् ), प्रकाशक पांडुरंग जावजी, बम्बई
(औ) औषनियुक्ति, द्रोणाचार्यवृत्तिसहित, आगमोदय समिति, मेहसाना
... (ऋ) ऋग्वेद संहिता, संपा० श्री० दा० सातवलेकर, स्वाध्याय मण्डल, औध, सतारा, सन् १९४०
(क) कठोपनिषद् (१०८ उपनिषद्), प्रकाशक-पाडुरंग जावजी, बम्बई, सन् १९२२ कर्तव्यकौमुदी भा० २, रचयिता मुनि श्रीरत्नस्वामी, प्रकाशक मैरोदान जेठमल . सेठिया, बीकानेर, सन् १९२५
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