________________
सहायक ग्रन्थ सूचनिका
१३१
पउमचरियम्
: विमलसूरि, सम्पा०-डा० हर्मन जेकोबी, हिन्दी
अनुवादक-शान्तिलाल वोरा, प्रका०-प्राकृत ग्रंथ
परिषद्, वाराणसी, प्रथम संस्करण, सन् १९६२. पालिजातकावलि
: सम्पा०-५० बटुकनाथ शर्मा, प्रका०-मास्टर
खेलाड़ी लाल ए ड सन्स, वाराणसी, प्रथम
संस्करण, सन् १९४०. पार्वाभ्युदयकाव्य : कवि जिनसेन, प्रका०-निर्णय सागर प्रेस, बम्बई,
सन् १९०९. पिंगलछन्दः सूत्रम् : आचार्य पिंगल, व्याख्या-जीवानन्द विद्यासागर,
प्रका०-वाचस्पत्य मुद्रणालय, कलकत्ता, प्र०सं०,
सन् १९२८. पुरातनप्रबन्धसंग्रह : सम्पा०-जिनविजयमुनि, प्रका•-सिंघी जैन ज्ञान
पीठ, कलकत्ता, प्रथम संस्करण, सन् १९३६. प्रबन्धचिन्तामणि
: आचार्य मेरुतुग (प्रथम ), प्रका-सिंघी जैन ज्ञानपीठ, शान्ति निकेतन, बंगाल, प्र० सं०, वि०
सं० १९८९. प्राच्य वाणी ( पत्रिका) : अनन्तलाल ठाकुर, कलकत्ता, सन् १९४५. बृहदेवता
: महर्षि शौनक, सम्पा०-रामकुमार राय, प्रकाचौखम्बा संस्कृत सीरीज, वाराणसी, प्रथम
संस्करण, सन् १९६३. भारती कवि-विमर्श : ले०-रामसेवक पाण्डेय, प्रका०-इण्डियन प्रेस
लि०, प्रयाग, प्रथम संस्करण, वि०सं० २००७. भारतीय काव्यशास्त्र : ले०-डा० नगेन्द्र, प्रका०-ओरियण्टल बुक डिपो, की भूमिका
दिल्ली, प्रथम संस्करण, सन् १९५५. भारतीय साहित्यशास्त्र : ले०-५० बलदेव उपाध्याय, प्रका०-प्रसाद परि
षद्, काशी, प्रथम संस्करण, सन् १९५०. भारतीय साहित्यशास्त्र : ले०-ग० देशपाण्डे, पाप्युलर प्रकाशन, बम्बई-७,
प्रथम संस्करण, सन् १९६०. भारतीय साहित्यशास्त्र कोश : ले०-राजवंश सहाय प्रका०-बिहार हिन्दी
ग्रंथ अकादमी, पटना-३, प्रथम संस्करण,
सन् १९७३. भोजप्रबन्ध
: बल्लाल कवि, सम्पा०-काशीनाथ पाण्डुरंग, वारब, प्रका०-निर्णय सागर प्रेस, बम्बई, प्र०सं० सन् १८९६.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org