________________
विषयानुक्रमणिका
भूमिका
पृष्ठ १-२२४
दुतशब्द की व्युत्पत्ति पृ० २-३, साहित्य में दूत ३-५ दूतकाव्य ५-८, दूतकाव्य के आदिस्रोत ९-१७ दूतकाव्यों का वर्गीकरण १७- २१ - - श्रृंगार प्रधान १८-१९, अध्यात्म प्रधान १९ - २१, जैनदूतकाव्य - २२- ३२, इन्दुदूतम् - २२, चन्द्रदृतम् - २३, चेतोदुतम् -- २३, जैनमेघदूतम् - २४, नेमिदूतम् - २४-२५, पवनदुतम् — २५-२६, पाश्वभ्युदय – २६ - २८, मनोदूतम् - २८, मयूरदूतम् - २८, मेघदूत समस्या लेख २९-३०, वचनदूतम् - ३०, शीलदूतम् ३० - ३१, हंसपदांकदूतम् - ३१-३२ ।
जैनेतर दूतकाव्य
३३-७९.
अनिलदूतम् - ३३, अब्ददृतम् - ३३ ३४, अमरसन्देश – ३४, उद्धवदूतम् - ३४, उद्धवसन्देश---३४-३५, कपिदूतम् - ३५, काकदूतम् – ३५-३६, कीरदूतम्–३६, कोकसन्देश- ३७, कोकिलदूतम् – ३७-३८, कोकिलसन्देश - ३८३९, कृष्णदूतम् - ३९, गरुड़सन्देश – ३९, गोपीदृतम् -- ३९-४०, घटखर्पर काव्यम्~४०, घनवृत्तम् - ४१, चकोरदूतम् - ४१, चक्रवाकदूतम् - ४१, चातकसन्देश–४१, चकोरसन्देश – ४१, चन्द्रद्रुतम् – ४२, झंझावात - ४३, तुलसीदूतम् - - ४३-४४, दात्यूहसन्देश – ४४, दूतवाक्यम् - - ४४, दुतघटोत्कच – ४४, देवदूतम् — ४५, नलचम्पू - - ४५, पद्यदूतम् - - ४५-४६, पदाङ्कगतम् - ४६-४७, पवनदूतम्–४७-४८, पादपदूतम् - - ४८, पान्थ दूतम् - - ४८-४९, पिकदुतम् -- ४९भक्ति५०, प्लवङ्गदूतम् — ५०-५२, मेघसंदेश विमर्श -- ५२, बुद्धिसंदेश – ५२, दूतम् —–५२, भ्रमरदूतम् - ५२-५३, भ्रमरसंदेश - ५३, भृगदुतम् - ५३, भृंगसंदेश -- ५३-५४, मधुकरदूतम् - ५४ मधुरोष्ठसंदेश - ५४, मनोदुतम् -- ५४५५, मयूखदूतम् - ५५-५६, मयूरसंदेश -- ५६-५७, मानससंदेश – ५७, मारु - त्संदेश -- ५७, मित्रदूतम् - ५७-५८, मुद्गरदूतम् - ५८, मेघदूतम् - ५८- ६१, मेघदूतम् - ६१, मेघदौत्यम् - ६२, मेघप्रतिसंदेश -- ६२, यक्षमिलनकाव्यम् - ६२६३, यज्ञोल्लास – ६३, रथाङ्गदूतम् - ६३, वकदुतम् --- ६३, वाङ्मण्डनगुणदूतम् — ६४, वातदूतम् - ६४, वायुदूतम् - ६४, विटदूतम् -- ६४, विप्रसंदेश६४-६५, श्येनदूतम्—६५, शिवदूतम् -- ६५, शुकदूतम् - ६५, शुकसंदेश - ६५६६, सिद्धदूतम् - ६६, सुभगसंदेश -- ६६, सुरभिसंदेश - ६६, हनुमद्द्रुतम् - ६६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org