SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका । २२१ कन्नौज ( दे० कान्यकुब्ज भी)- कांतिपुरी - ४१ ५४, ५६, ६०, ८९, १७१ काठियावाड़ - ७२, ९८; १६५ करकण्डुचरिउ - १०,८१ कातन्त्रव्याकरण - २२ कराची-९० कात्यायन - २२ कर्कोटक ( नाग ) -८० टि० कात्यायन गोत्र - ४७ कर्ण - १४५ कादि दानपत्र - १०२ टि० कर्णदेव ---- १५ टि०, ८३ कान्यकुब्ज - ५१, ५४-५६ टि० कर्णाट - ६३, ८३ कापड़िया, हीरालाल रसिकदास कर्णाटक - १६, ६५, १६५ कला-कलाप ( ग्रंथ ) - ६२ कामदेव - ६२ टि० कलिंग - ६६ कामरूप -७० टि०-७१ टि०, ७६ कलिकाल सर्वज्ञ (हेमचन्द्र का काम्पिल्य - ५६ विरुद् ) -- ५९ कार, ई० एच० - ३७ टि०, कल्पप्रदीप (वितीक का अपर १०६ टि०, १२४, १३७ टि० नाम) कारणत्व - १२४-१३६ कल्पवृक्ष - १२० कारमाइकेल लेक्चर्स -८१ टि० काराकोरम - ६३ कल्पव्यवहार - ३८ टि. कल्याणमंदिरस्तोत्र - ४७ कार्नवाल -- १८४ कल्याणविजय - १४७ टि. कार्लाइल- ३७ कालक्रम - १४३-१५४ कल्हण - २६, २०, ४८, टि०, कालमेघ (ह)-८७ टि० ८९, ९१, १०७, १६७ टि--- १७० टि०, १७१, १९१ कालमूर्ति ( कालपुरुष ) -८७, ९०-९१ कल्हणस राजतरंगिणि-८७ कॉलिंगउड, आर० जी० - टि०, १६७, १७१ टि. १११ टि. कविशिक्षा (दे० काव्य-कल्पलता) कालिंजर - ५५ कश्मीर - १६, २८, ६०, ७१, कालिंजर अभिलेख -- ८५ टि० ७६, ८६-९१, ९३, १४०, कालिदास - ६२, १२१ १४८, १६६, १७०-१७१, काव्य-कल्पलता - ६२ १९१ काव्यानुशासन - ५९ कश्यप -८० टि. काशी-६०-६१, १३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy