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________________ १७६ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन इसलिये उसने अपने इतिहासलेखन में सुल्तान की कठोर अवहेलना की है । राजशेखर के समकालीन अरबी यात्री, विद्वान तथा लेखक 'इब्नबतूता ( १३०४-७८ ई० ) का असली नाम अबू अब्दुल्ला मुहम्मद था ।" यात्री के रूपमें इब्नबतूता ने लगभग १,२०,००० कि० मी० विविध महाद्वीपों की यात्रा की थी । विद्वान् के रूप में उसका आशातीत आदर-सत्कार मुहम्मद तुगलक ने किया और १३३३ ई० से नौ वर्षों तक दिल्ली में काजी- पद पर प्रतिष्ठित किया । लेखक के रूप में उसने स्वदेश लौटकर अपनी यात्रा का विवरण लिखवाया जिसे 'तुहफत अल-नज्जार फी गरायब अल अमसार व अजायब अल अफसार' कहते हैं । ' बतूता के यात्रा विवरण 'तुहफत अल' में अनेक अशुद्धियाँ हो गयी हैं क्योंकि यात्रा की समाप्ति पर बतूता की केवल स्मृति के आधार पर सचिव मुहम्मद इब्न जुजैय ने प्रत्येक घटना लिपिबद्ध की थी । कहीं पर नगरों के क्रम उलट दिये गए हैं तो कहीं पर उनके नामोच्चारण भ्रष्ट रूप से लिख दिये गए हैं । कुतुबमीनार की सीढ़ियाँ इतनी चौड़ी बतायी हैं कि हाथी चढ़ जाय, जो वस्तुतः यथार्थ नहीं है । बतूता ने न तो राजदरबार के और न किसी प्रान्त के किसी उच्च पदाधिकारी हिन्दू का नाम लिखा है । उसके वृत्तान्त में सर्वत्र मुसलमान और अधिकतर विदेशी ही दृष्टिगोचर होते हैं । १. मदनगोपाल ( अनु० ) : इब्नबतूता की भारत यात्रा, काशी विद्यापीठ, वाराणसी, १९३१, पृ० १ । २. इस ग्रन्थ की एक हस्तलिपि पेरिस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में सुरक्षित है । इसको द फेमरी तथा सांगिनेती ने सम्पादित किया और इसका फ्रांसीसी भाषा में पूरा अनुवाद चार खण्डों ( १८५३-५९ ई० ) में पेरिस से प्रकाशित किया । इसके कुछ अंशों का अंग्रेजी अनुवाद ईलियट और डाउसन के इतिहास के तृतीय खण्ड में तथा इसका संक्षिप्त अनु ( एक प्रस्तावना सहित ) ब्रॉडवे ट्रैवलर्स में ई० में प्रकाशित किया था । दे० परमात्माशरण का लेख 'इब्नबतूता', गिब्ब ने लन्दन से १९२९ हि० को०, खण्ड १, वाराणसी, १९६०, पृ० ४८२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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