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________________ प्रकाशकीय भारतीय अध्यात्मवादी परम्परा में योग-साधना का अस्तित्व अति प्राचीनकाल से ही रहा है। यहाँ तक की अति प्राचीन नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में जो सीलें आदि उपलब्ध हुई हैं उनमें ध्यानमुद्रा में योगियों के अंकन पाये जाते हैं। इस प्रकार ऐतिहासिक अध्ययन के जो भी प्राचीनतम स्रोत हमें उपलब्ध हैं, वे सभी भारत में योगसाधना की परम्परा के अति प्राचीनकाल से प्रचलित होने की पुष्टि करते हैं। उनसे यह भी सिद्ध होता है कि भारत में यज्ञ-मार्ग की अपेक्षा साधना-मार्ग की परम्परा प्राचीन है और उसे सदैव आदरपूर्ण स्थान प्राप्त रहा है। औपनिषदिक ऋषिगण और श्रमण-साधक अपनी वैदिक जीवनचर्या में योगसाधना को स्थान देते रहे हैं- यह निर्विवाद तथ्य है। बुद्ध और महावीर को ज्ञान का जो प्रकाश उपलब्ध हुआ वह उनकी योग-ध्यान-साधना का परिणाम ही था, इसमें आज किसी प्रकार का वैमत्य नहीं है। किन्तु हमारा यह दुर्भाग्य है कि प्राचीन साहित्य में भी ध्यानसाधना की इन पद्धतियों के विस्तृत विवरण आज उपलब्ध नहीं हैं, मात्र यत्र-तत्र विकृति निर्देश ही हमें मिलते हैं। फिर भी जो सूचनायें उपलब्ध होती हैं उनके आधार पर इतना तो कहा जा सकता है कि औपनिषदिक ऋषिगण और श्रमण-साधक अपने आध्यात्मिक विकास के लिए योग-साधना की विभिन्न पद्धतियों का अनुसरण करते थे। उनकी साधना पद्धतियों के कुछ अवशेष आज भी हमें मिल जाते हैं। प्रेक्षाध्यान और विपश्यना जैन एवं बौद्ध परम्पराओं की उन्हीं पद्धतियों के आधुनिक रूप हैं। प्रस्तुत पुस्तक में लेखिका ने न केवल जैन एवं बौद्ध योग-साधना की परम्परा का विवरण दिया है, बल्कि एक दृष्टि से सम्पूर्ण जैन एवं बौद्ध साधना-पद्धति का तुलनात्मक स्वरूप प्रस्तुत किया है । योग जैसे गंभीर विषय के सुन्दर प्रस्तुतिकरण हेतु लेखिका को मेरा साधुवाद । इसका कुशल सम्पादन संस्थान के प्रवक्ता डॉ. विजय कुमार ने किया है, अत: वे धन्यवाद के पात्र हैं। सुन्दर अक्षर-सज्जा के लिए राजेश कम्प्यूटर्स और सत्वर मुद्रण हेतु वर्द्धमान मुद्रणालय को धन्यवाद देता हूँ। दिनांक : ५.७.२००१ प्रो० सागरमल जैन सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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