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________________ १६२ ब्रह्मचर्य जैन एवं बौद्ध योग : एक तुलनात्मक अध्ययन तपस्याओं में सबसे उत्तम ब्रह्मचर्य है । ११४ पारिभाषिक रूप में ऐसे कहा जा सकता है कि मन, वचन और काय से किसी भी काल में मैथून न करना ब्रह्मचर्य व्रत है। इसकी भी पाँच भावनाएँ हैं * (१) स्त्री कथा - त्याग - स्त्री से सम्बन्धित कामवर्धक कथाओं का त्याग करना । (२) मनोहर क्रियावलोकन- त्याग - स्त्री अंगों का अवलोकन न करना । (३) पूर्व रतिविलास स्मरण- त्याग - पूर्वानुभूत कामक्रीड़ा का स्मरण न करना । (४) प्रणीतरस भोजन त्याग - प्रमाण से अधिक अथवा कामवर्धक रसयुक्त आहार पानी ग्रहण न करना । (५) शयनासन त्याग - स्त्री, पशु, नपुंसक आदि से सम्बद्ध स्थानों में न रहना । ११५ अपरिग्रह संसार के समस्त विषयों के प्रति राग तथा ममता का परित्याग कर देना ही अपरिग्रह है। मूलाचार में अपरिग्रह व्रत के पालन का निर्देश देते हुए कहा गया है कि ग्राम, नगर, अरण्य, स्थूल, सचित्त तथा स्थूलादि से उलटे सूक्ष्म अचित्य स्तोक ऐसे अन्तरंग - बहिरंग परिग्रह को मन, वचन और काय द्वारा छोड़ देवें । ११६ इसकी भी पाँच भावनाएँ हैं (१) श्रोतेन्द्रिय के विषय शब्द के प्रति रागद्वेष रहितता । (२) चक्षुरिन्द्रिय के विषय रूप से अनासक्त भाव रखना। (३) घ्राणेन्द्रिय के विषय गन्ध के प्रति अनासक्त भाव रखना । (४) रसनेन्द्रिय के विषय रस के प्रति अनासक्त भाव रखना । (५) स्पर्शनेन्द्रिय के विषय स्पर्श के प्रति अनासक्त भाव रखना। गुप्ति एवं समिति जैन परम्परा में तीन गुप्तियों तथा पाँच समितियों का विधान है। गुप्तियाँ जो मन, वचन और काय की अशुभ प्रवृत्तियों को रोकती हैं और समितियाँ चारित्र की प्रवृत्ति में सहायक होती हैं। ११७ कहा भी गया है कि योग का अच्छी प्रकार से निग्रह करना गुप्ति है । ११८ गुप्तियाँ श्रमण - साधना के निषेधात्मक पक्ष को प्रस्तुत करती हैं, जबकि समितियाँ साधना के विधेयात्मक रूप को व्यक्त करती हैं । ये आठ गुण श्रमण जीवन का संरक्षण उसी प्रकार करते हैं जिस प्रकार माता अपने पुत्र की करती है । इसीलिए इन्हें अष्ट प्रवचनमाता भी कहा गया है।९९९ गुप्तियाँ तीन हैं- मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, और कायगुप्ति । १२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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