SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ IV है, डॉ० रज्जन कुमार जिनके कुशल निर्देशन में यह कार्य पूर्ण हुआ और जिन्होंने सदा हमें पठन-पाठन के लिए प्रोत्साहित किया है, की मैं आभारी हूँ । आदरणीय श्री श्रीचन्द रामपुरिया (कुलाधिपति, जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं), प्रो० रामजी सिंह (पूर्व कुलपति, जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं), श्री मोहन सिंह भंडारी (पूर्व कुलपति, जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं), प्रो० वाचस्पति उपाध्याय (कुलपति, लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली) प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय ( पूर्व अध्यक्ष, दर्शन विभाग, का०हि० वि०वि०), प्रो० मृत्युंजय नारायण सिन्हा (अध्यक्ष, दर्शन विभाग, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर), प्रो० कमलाकर मिश्र (दर्शन विभाग, का०हि०वि०वि०),डॉ० जगतराम भट्टाचार्य (कुलसचिव, जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं),डॉ० जे०पी०एन०मिश्र (जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं) की अभारी हूँ जिन लोगों की प्रेरणा ने मुझे पुस्तक पूर्ण करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इन गुरुजनों का आशीष मुझे हमेशा प्राप्त है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में मेरे वरिष्ठ सहयोगी आदरणीय डॉ० अशोक कुमार सिंह, डॉ० शिवप्रसाद जी, डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय एवं कनिष्ठ सहयोगी श्री ओमप्रकाश सिंह व श्री राकेश सिंह के प्रति अपना आभार प्रकट करती हूँ जिनलोगों से हमेशा अकादमीय सहयोग मिलता रहता है। विशेषकर अपने पति डॉ० विजय कुमार, जो पार्श्वनाथ विद्यापीठ में मेरे अकादमीय सहयोगी भी हैं को कैसे विस्मृत कर सकती हूँ । प्रत्येक स्तर पर उनके सहयोग के कारण ही प्रस्तुत पुस्तक अपनी मूर्तता को प्राप्त कर सकी है। उनके सम्मानीय सहयोग की अनुपम अनुभूति सर्वदा मेरे साथ रहती है। पूज्य माता-पिता श्रीमती किरण देवी एवं श्री धनराजजी खटेड़, काकोसा श्री बाबूलाल जी खटेड़ एवं काकीसा श्रीमती पुखराज खटेड, मामोसा श्री विजयसिंह सेठिया एवं मामीसा श्रीमती सरला सेठिया, आदरणीय भैया श्री पदमचन्द जैन, श्री राजेन्द्र खटेड, भाभी श्रीमती मीठ जैन, श्रीमती बबीता खटेड तथा दीदी श्रीमती सरोज फूलफगर एवं छोटी बहन श्रीमती सरिता भंसाली की मैं सर्वदा ऋणी हूँ जिनके लाड़-प्यार एवं स्नेह ने मुझे इस योग्य बनाया। अपने परिवार के पूज्य माँ-बाबूजी स्व० श्रीमती शान्ति सिन्हा एवं डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा, छोटी माँ एवं छोटे बाबूजी श्रीमती सरोज सिंह एवं श्री रविन्द्रनाथ सिंह व आदरणीय ज्येष्ठ डॉ० संजय कुमार, डॉ० अजय कुमार व देवर श्री धनंजय कुमार की मैं ऋणी हूँ जिनलोगों के प्यार और आशीर्वाद के साथ-साथ पठन-पाठन में उचित मार्ग दर्शन प्राप्त होते रहे हैं। अन्त में मैं उन सभी विद्वत्जनों एवं महानुभावों का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ जिनका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ है। साथ ही पुस्तक में यदि कोई त्रुटि रह गयी हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं, जो निःसन्देह मेरी है। दिनांक : ५.७.२००१ सुधा जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy