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________________ भारतीय साहित्य में दान की महिमा [ 179 सामग्री प्रस्तुत की गयी है । वैदिक, जैन और बौद्ध परम्परा के धर्मग्रन्थ और अध्यात्म ग्रन्थों से दान के विषय में काफी सुन्दर संकलन किया गया है। यह प्रवक्ता, लेखक और उपदेशकों के लिए एक सुन्दर कृति कही जा सकती है । एक ही इस ग्रन्थ में तीन परम्पराओं के दान सम्बन्धी विचार उपलब्ध हो जाते हैं । अपने-अपने युग में वैदिक, जैन और बौद्ध आचार्यों ने लोककल्याण के लिए, लोक मंगल के लिए और जीवन उत्थान के लिए बहत-से सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया था । उनमें से दान भी एक मुख्य सिद्धान्त रहा है । प्रत्येक परम्परा ने दान के विषय में अपने देश और काल के अनुसार दान की मीमांसा की है, दान पर विचार-चर्चा की है और दान पर अपनी मान्यताओं का विश्लेषण भी किया है । दान की मर्यादा, दान की सीमा, दान की परिभाषा और दान की व्याख्या सबकी एक जैसी न भी हो, परन्तु दान को भारत की समस्त परम्पराओं ने सहर्ष स्वीकार किया है, उसकी महिमा का गान किया है । हिन्दी काव्य और दान हिन्दी साहित्य की नीति-प्रधान कविताओं में भी दान के विषय में काफी लिखा गया है । 'तुलसी दोहावली', 'रहीम दोहावली' और 'बिहारी सतसई तथा सूर के पदों में भी दान की गरिमा का और दान की महिमा का विस्तार से उल्लेख हुआ है । तुलसी का 'रामचरितमानस' तो एक प्रकार का सागर ही है, जिसमें दान के विषय में अनेक स्थलों पर बहुत कुछ लिखा गया है। हिन्दी के अनेक कवियों ने इस प्रकार के जीवन चरितों की रचना भी की है, जिनमें विशेष रूप से दान की महिमा का ही वर्णन किया गया है। राम भक्त कवियों ने, कृष्ण भक्त कवियों ने और प्रेममार्गी सूफी कवियों ने अपने काव्य ग्रन्थों में, दान के विषय में यथाप्रसंग काफी लिखा है। दान की कोई भी उपेक्षा नहीं कर सका है । कबीर ने भी अपने पदों में और दोहों में दान के विषय में यथाप्रसंग बहुत लिखा है। अपने एक दोहे में कबीर ने कहा है-'यदि नाव में जल बढ़ जाए और घर में दाम बढ़ जाए तो उसे दोनों हाथों से बाहर निकाल देना चाहिए, बुद्धिमानों का यही समझदारी का काम है।' तुलसी दोहावली में भी दान के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002119
Book TitleSakaratmak Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1996
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size17 MB
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