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________________ ( ३६ > I यह अध्याहृत रहता है; इस विचार से, इसका अर्थ 'अनागत याने भविष्य में होनेवाले ऐसे मुझको जानकर' ऐसा होता है । दूसरा यह शब्द क्रियाविशेषण भी बन सकता है और उसका व्याकरणशास्त्र की पद्धति के अनुसार 'अनागतं यथा स्यात् तथा परिज्ञाय' ऐसा शाब्दबोध होता है । इसका अर्थ 'अनागत याने भविष्य में जैसा होगा वैसा जान कर' ऐसा होता है । दोनों तरह के अर्थ का तात्पर्य एक ही है और वह यह है कि सिद्धर्षि के विचार से हरिभद्र का ललितविस्तरारूप बनाने वाला कार्य भविष्यत्कालीन उपकार की दृष्टि से है । इससे यह स्वतः स्पष्ट है कि हरिभद्र ने ललितविस्तरा किसी अपने समानकालीन शिष्य के विशिष्ट बोध के लिये नहीं बनाई थी और जब ऐसा है तो, तर्कसरणि के अनुसार यह स्वयंसिद्ध हो गया कि उस वृत्ति को अपने ही विशिष्ट बोध के लिये रची गई मानने वाला शिष्य, उन आचार्य से अवश्य ही पीछे के काल में हुआ था । हमारे विचार से प्रस्तुत श्लोक के उत्तरार्ध में ललितविस्तरा के विशेषण रूप में 'मदर्थेव कृता - ( मेरे ही लिये की गई ) ' ऐसा जो पाठ है उसकी जगह 'मदथंव कृता - (मानों मेरे लिये की गई ), ऐसा होना चाहिए। क्योंकि उक्त रीति से जब सिद्धर्षि अपना अस्तित्व हरिभद्र के बाद किसी समय में होना सूचित करते हैं तो फिर उनकी कृति को निश्चय रूप से (एवकार शब्द का प्रयोग कर ) अपने ही लिये बनाई गई कैसे कह सकते हैं ? इसलिये यहां पर 'इव' जैसे उपमावाचक ( आरोपित अर्थसूचक) शब्द का प्रयोग ही अर्थसंगत है | बहुत सम्भव है कि उपमिति की दूसरी हस्तलिखित पुस्तकों में इस प्रकार का पाठभेद मिल भी जायें ।' ललितविस्तरावृत्ति सिद्धर्षि को किस रूप में उपकारक हो पड़ी थी, अथवा किस कारण से उन्होंने उसका स्मरण किया है, इस बातका पता उनके लेख से बिल्कुल नहीं लगता । उनके चरित्रलेखक, जो, बौद्धधर्म के संसर्गके कारण जैनधर्म से उनका चित्तभ्रंश होना और फिर इस १. प्रभावकचरित में ' मदर्थे निर्मिता येन' ऐसा पाठ मुद्रित है । इसी तरह दूसरी पुस्तकोंमें उक्त प्रकारका दूसरा पाठ भी मिलता सम्भवित है | बहुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002118
Book TitleHaribhadrasuri ka Samaya Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size4 MB
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