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________________ सन्दर्भ-सूची (क) मूल ग्रन्थ अंगविज्जा-सं० मुनिपुण्यविजय, प्राकृत ग्रन्थ परिषद् १, बनारस १९५७ । अपराजितपृच्छा-(भुवनदेवकृत ), सं० पोपटभाई अंबाशंकर मांकड, गायकवाड़ ___ओरियण्टल सिरीज, खण्ड ११५, बड़ौदा १९५० । अभिधानचिन्तामणि-( हेमचंद्रकृत ), सं० हरगोविन्द दास बेचरदास तथा मुनि जिन विजय, भावनगर, भाग १, १९१४; भाग २, १९१९ । आचारदिनकर-( वर्धमानसूरिकृत ), भाग २, बंबई १९२३ । आदिपुगण-( जिनसेनकृत ), सं० पन्नालाल जैन, ज्ञानपीठ मूर्ति देवी जैन __ ग्रन्थमाला, संस्कृत ग्रन्थ संख्या ८, वाराणसी १९६३ ।। उत्तरपुराण-( गुणभद्रकृत ), सं० पन्नालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली १९५४ । कल्पसूत्र-(भद्रबाहुकृत ), अनु० एच० जैकोबी, सैक्रड बुक्स ऑव दि ईस्ट, खण्ड २२, भाग १ ( आक्सफोर्ड १८८४), दिल्ली १९७३ ( पु० मु०); सं० देवेन्द्र मुनि शास्त्री, शिवान १९६८ । कुमारपालचरित-( जयसिंहसूरिकृत ), निर्णय सागर प्रेस, बंबई १९२६ चतुर्विंशतिका-( बप्पभट्टिमरिकृत ), अनु० एच० आर० कापडिया, बंबई १९२६ । जैनस्तोत्रसन्दोह-सं० अमर विजय मुनि, खण्ड १, अहमदाबाद १९३२ । तिलोयपण्णत्ति-( यतिवृषभकृत ), सं० आदिनाथ उपाध्ये तथा हीरालाल जैन, जीवराज जैन ग्रन्थमाला १, शोलापुर १९४३ । त्रिषष्टिशलाका नुरुषचरित्र-( हेमचन्द्रकृत ), अनु० हेलेन एम० जानसन, गायक वाड़ ओरियण्टल सिरीज, बड़ौदा, खण्ड १ (१९३१), खण्ड २ (१९३७), खण्ड ३ (१९४९), खण्ड ४ (१९५४), खण्ड ५ (१९६२), खण्ड ६ (१९६२)। देवतामूर्तिप्रकरण तथा रुपमण्डन-(सूत्रधार मण्डनकृत), संस्कृत ग्रन्थमाला, १२, __ कलकत्ता १९८६ । नायाधम्मकहाओ-सं० एन० बी० वैद्य, पूना १९४० ।। निर्वाणकलिका-(पादलिप्तसूरिकृत ), सं० मोहनलाल भगवानदास, मुनि श्रीमोहनलालजी जैन ग्रन्थमाला ५, बंबई १९२६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002115
Book TitleJain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumud Giri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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