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________________ ४४४ प्रमाणवार्तिक (स्वार्थानुमानपरिच्छेद स्ववृत्तियुक्त) प्रमाणवार्तिकभाष्य प्रमाणसमुच्चय (सवृत्ति) (प्रत्यक्ष परिच्छेद) मिलिन्दपहपालि रत्नकीर्त्तिनिबन्धावलि वादन्याय विग्रहव्यावर्तनी विशालामलवती (प्रमाणसमुच्चयटीका) हेतुबिन्दुटीका ( हेतुबिन्दुप्रकरण एवं आलोकयुक्त) अन्य दर्शन-ग्रंथ (संस्कृत) ईश्वरप्रत्यभिज्ञाविमर्शिनी किरणावली कौटिलीय अर्थशास्त्र खण्डनखण्डखाद्य छांदोग्योपनिषद् तत्त्वचिन्तामणि तत्त्वोपप्लवसिंह तर्कताण्डव तर्क - भाषा Jain Education International बौद्ध प्रमाण-मीमांसा की जैनदृष्टि से समीक्षा धर्मकीर्ति, सम्पा, दलसुख मालवणिया, नेपाल राज्य संस्कृत ग्रंथमाला,२, सन् १९५९ प्रज्ञाकरगुप्त, सम्पा, राहुल सांकृत्यायन, काशीप्रसाद जायसवाल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पटना, १९५३ दिङ्नाग, सम्पा, एच. आर. रंगास्वामी अयंगर, मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर, १९३० बौद्धभारती, वाराणसी, १९७९ रत्नकीर्ति, जायसवाल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पटना धर्मकीर्ति, बौद्धभारती, वाराणसी, १९७२ अनु. कमलेश्वर भट्टाचार्य, द्वितीय संस्करण, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, १९८६ जिनेन्द्रबुद्धि, प्रमाणसमुच्चय एवं द्वादशारनयचक्र के प्रकाशनों में उपलब्ध सम्पा., सुखलाल संघवी एवं मुनि जिनविजय, गायकवाड ओरियण्टल सीरीज, बड़ौदा, १९४९ अभिनवगुप्त, सम्पा. सुब्रह्मण्य अय्यर एवं के.सी. पाण्डेय, इलाहाबाद उदयन, ओरियण्टल इंस्टीट्यूट बड़ौदा, १९७१ सम्पा. वाचस्पति गैरोला, चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी, १९६२ श्रीहर्ष, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी, १९७० ईशाद्यष्टोत्तरशतोपनिषदः, व्यास प्रकाशन, वाराणसी, १९८३ गङ्गेश, तिरुपति, १९८२. जयराशिभट्ट, बौद्ध भारती, वाराणसी, १९८७ मैसूर विश्वविद्यालय, १९४३ केशवमिश्र, हिन्दी व्याख्या, विश्वेश्वर सिद्धान्त शिरोमणि, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002113
Book TitleBauddh Pramana Mimansa ki Jain Drushti se Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Culture, & Religion
File Size20 MB
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