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________________ ४३८ बौद्ध प्रमाण-मीमांसा की जैनदृष्टि से समीक्षा योग्यता ७५,७६ वाच्यवाचक भाव ११४ वाद-विद्या २,३,८,९,११ विकल्प्य १५७ विज्ञप्तिमात्रता १४ विज्ञानवाद १३,१४,६०,७५, १५२ प्रमाण,प्रमेय एवं फल व्यवस्था ३५६ विपक्षासत्त्व २१९ विरुद्ध हेत्वाभास २८४,२८५ विरोधीहेतु २४३ विवक्षा ३३७ वैधर्म्यदृष्टान्त ३७ वैभाषिक १३ वैशद्य (विशदता) ३८, १३२, १३३, १५२, १७३,१८१ व्यअनावग्रह १४१ व्यवसायात्मकता ७६,७७,९१,९२,१०४, १५०,१५२,१५४,१५६,१५९,१६१,१८३, १८४,१९३,१९४ व्याप्ति-चर्चा २९,२५५,२५६ शब्दार्थ-सम्बन्ध ३३४ (जैनमत) ३३८ । (बौद्धमत) शून्य १४८ शून्यवाद ८,९,६० श्रुतज्ञान ३३३ श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय ६१,६२,६३ संवृतिसत् ७३,९२,९८,१०२, १४४,१४७ सकलप्रत्यक्ष १३७ सङ्केत-ग्रहण ३३६,३४१ सत् (वस्तु) ४१,६५,६७,१०२ सत्त्वलक्षण २५९ सन्तान (क्षण-सन्तान) ९५,९७,९८, १००, १०१ सन्तानी ९९ सन्निकर्ष १८३ सपक्षसत्त्व २१९, का खण्डन २२९ सप्तभङ्गीवाद ४१,६१ समनन्तर प्रत्यय १२४,१९६ समारोप १९३ सम्यग्ज्ञान ७३,७५,७७,७८,९१ सर्वज्ञता ३५,१३० ,१३७,१३८, २०१.२०३,३७९ सविकल्पक ८१,११०,१५० ,१५१,१५५, १५७, १६२१६४,१६६-१७६,१७७,१८०, १८१,१८२, १८६,१८७,१९०, १९१, १९२, १९४,२०४,२०५,२०७ सहकारी प्रत्यय १२४ सहचर हेतु २५२,२५३ सांव्यवहारिक-प्रत्यक्ष ४४,४८,१२९,,१३१, १३८-१४२ साकारज्ञान १३२,३७४,३७५,३७८ सादृश्य-प्रत्यभिज्ञान ३०७ साध्य ४९,२१६ के कल्प २१७, विशेषताएं २१८ सामान्य १२४;२०८,२५०, ३६२, ३६३ सामान्यलक्षण ७०,७३,७४,९८,१००, ३५४,३५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002113
Book TitleBauddh Pramana Mimansa ki Jain Drushti se Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Culture, & Religion
File Size20 MB
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