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________________ xvi प्रभाचन्द्र Jain Education International वादिदेवसूर बौद्ध प्रमाण-मीमांसा की जैनदृष्टि से समीक्षा प्रमेयकमलमार्तण्ड न्यायकुमुदचन्द्र प्रमाणनयतत्त्वालोक स्याद्वादरत्नाकर हेमचन्द्र और प्रमाणमीमांसा अन्य जैनाचार्य और उनकी कृतियां नव्य न्याययुग दिगम्बर श्वेताम्बर - सम्प्रदाय बौद्ध एवं जैन : बिन्दु एवं प्रतिबिन्दु द्वितीय अध्याय- प्रमाण- लक्षण और प्रामाण्यवाद बौद्धदर्शन में प्रमाण लक्षण - प्रथम लक्षण (अज्ञातार्थज्ञापकमिति) द्वितीय लक्षण (प्रमाणमविसंवादि ज्ञानम्) दोनों लक्षणों की परस्पर पूरकता तृतीय लक्षण (अर्थसारूप्यमस्य प्रमाणम्) जैनदर्शन में प्रमाण- लक्षण जैनदार्शनिकों द्वारा बौद्ध प्रमाण-लक्षणों का परीक्षण प्रथम लक्षण का परीक्षण अकलङ्क ८२, विद्यानन्द ८३, सिद्धर्षिगणि ८३, प्रभाचन्द्र ८५, . हेमचन्द्र ८६ समीक्षण धारावाहिक ज्ञान के प्रामाण्य एवं अप्रामाण्य-विषयक विचार द्वितीय लक्षण का परीक्षण अकलङ्क ८९, विद्यानन्द ९०, सिद्धर्षिगणि ९३, अभयदेवसूरि ९४, वादिदेवसूरि ९९, हेमचन्द्र १०३ For Private & Personal Use Only ५८ ५८ ५९ ५९ ५९ ६० ६० ६१ ६१ ६१ ६३ ६८-१०८ ६८ ६८ ७१ ७४ ७५ ७६ ८२ ८२ ८६ ८८ ८९ www.jainelibrary.org
SR No.002113
Book TitleBauddh Pramana Mimansa ki Jain Drushti se Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Culture, & Religion
File Size20 MB
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