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२९२ : आचाराङ्ग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन कणादकृत न्यायसूत्र-विवरण : राधामोहन विद्यावाचस्पति गोस्वामी
भट्टाचार्य, प्रकाशक-मेडिकल हाल प्रेस, बनारस, सन् १९०३ । कठोपनिषद् : प्रकाशक-चौखम्बा-विद्या-भवन, वाराणसी-१, द्वितीय
संस्करण, वि० सं० २०२८ । कार्तिकेयानुप्रेक्षा : स्वामी कार्तिकेय, प्रकाशक-श्रीपरमश्रुत प्रभावक
मण्डल ( श्रीमदराजचन्द्र जैनशास्त्रमाला) अगास, प्रथम आवृत्ति,
सन् १९६० । केनोपनिषद् (अष्टादश उपनिषद्) प्रथम खण्ड : प्रकाशक-वैदिक संशोधन
मण्डल, पूना, प्रथम संस्करण, शक सं० १८८० । कौषीतक्युपनिषद्, प्रथम खण्ड : प्रकाशक-वैदिक संशोधन मण्डल, पूना।
प्रथम संस्करण, शक सं० १८८० । गाँधीवाणी : सम्पादक-श्रीरामनाथ 'सुमन', प्रकाशक-साधना-सदन,
६९ लूकरगंज, इलाहाबाद, सन् १९४७ । गीता : प्रकाशक-मोतीलाल जालान, गीताप्रेस, गोरखपुर, बीसवाँ
संस्करण, सं० २०२८ ।। गीता-शांकरभाष्य : प्रकाशक-घनश्यामदास जालान, गीता प्रेस, गोरख
पुर, चतुर्थ संस्करण, १९९५ ।। गोम्मटसार : श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती, प्रकाशक-श्री परमश्रुत
प्रभावक मण्डल ( श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला ) अगास,
चतुर्थ आवृत्ति, सन् १९७२ । छहढाला : पं० दौलतराम जी, प्रकाशक-श्रीस्वाध्यायशास्त्रमाला,
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, सब्जीमण्डी, देहली-६,
सन् १९७४ । छान्दोग्योपनिषद्, प्रथम खण्ड : अष्टादशउपनिषद्, प्रकाशक-वैदिक
संशोधन मण्डल, पूना, प्रथम संस्करण, शक सं० १८८० । जैन बौद्ध और गीताके आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन :
डा० सागरमल जैन, प्राकृत भारती अकादमी जयपुर, (भाग-१) सन् १९६९ । जैन योग : आर० विलियमजेम्स, प्रकाशक-ओ० यू० प्रेस, लन्दन
सन् १९६३ । जैनदर्शन : मुनिश्री न्याय विजयजी, प्रकाशक-श्री हेमचन्द्राचार्य जैन
सभा, पीपलानो शेर, पाटन (उ० गु०), सन् १९५६ ।
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