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________________ भक्तारस्तोत्र के सर्जन एवं सर्जन कथा Jain Education International टिप्पण For Private & Personal Use Only - - - (तालिका क्रमांक ४) मानतुंगसम्बद्ध | प्रभाचन्द्राचार्य कृत मेरूतुंगाचार्य कृत | गुणाकरसूरि कृत पुरातनप्रबन्ध संग्रह बह्मरायमल्ल कृत भट्टारक विश्वभूषण विगतें प्रभावकचरित प्रबन्धचिंतामणि भक्तामरस्तोत्रवृत्ति के अंतर्गत B,B1| भक्तामरवृत्ति कृत भक्तामरचरित (ई० सं० १२७७) (ई० सं० १३०५) | (ई० सं० १३७०) (ईस्वी१५वीं शती) (ई० सं० १६१०) (ई० सं० १६६५) जन्मस्थल वाराणसी समकालीन हर्षदेव (परमारराज) भोज (मिहिरभोज ?) हर्ष भोज भोज राज्यकर्ता वृद्धभोज ज्ञाति एवं | ब्रह्मक्षत्रिय धनदेव बह्मक्षत्रिय धनदेव पिताका नाम प्रथम दीक्षागुरु दिगम्बर चारुकीर्ति दिगम्बर संप्रदायमें द्वितीय दीक्षागुरु जिनसिंह । दीक्षितावस्थामें मानतुंगाचार्य का नाम महाकीर्ति था ऐसा प्र०च० और चारुकीर्ति | रहा ऐसा पु० प्र० सं० का कथन है । विश्वभूषणके अनुसार वे कर्णाटाचार्य थे। समकालीन | बाण, मयूर बाण, मयूर, | बाण,मयूर कालिदास, भारवि वररुचि, भर्तृहरि, कवि (श्रीमालपुर माघ कालिदास, के माघ कवि) धनंजय, शुभचन्द्र वाराणसी (धारानगर) उज्जयिनी मालवदेशमें घटनास्थल तालेबंध कमरा तालेबंध कमरा आदिनाथ मंदिर तालेबंध कमरा धारानगरी के पीछे चमत्कार वाराणसी धारा www.jainelibrary.org
SR No.002107
Book TitleMantungacharya aur unke Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1999
Total Pages154
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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