SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लाला हंसराज जैन का जीवन-परिचय लाला हंसराजजी जैन का जन्म ई० सन् १८९८ में अमृतसर के एक प्रतिष्ठित एवं सम्पन्न स्थानकवासी ओसवाल परिवार में हुआ था। आपके पिता लाला जगन्नाथ जैन थे। अपने परिवार में आप तीन भाई थे-लाला रतनचंदजी, लाला हंसराजजी और लाला हरजसरायजी। लाला रतनचंदजी आपके बड़े भाई थे। आपने अपने कठोर परिश्रम तथा विचक्षण बुद्धि से पारिवारिक व्यापार को अमृतसर से दिल्ली, बम्बई तथा कलकत्ता तक फैलाया। आप में एक कुशल व्यवसायी के सभी गुण थे। आप कठोर परिश्रमी एवं दृढ़ विचारों के व्यक्ति थे। निरन्तर व्यापार के श्रमसाध्य कार्य में लगे रहने के बावजूद आप समाजकल्याण-सम्बन्धी अच्छे कार्यों के लिए समय निकाल ही लेते थे। श्री सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति के द्वारा संचालित पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध-संस्थान में आपको रुचि प्रारम्भ से रही थी और उदार हृदय से उसके कार्यों में सहयोग देते थे। आप निरन्तर कर्मशील व्यक्ति थे। जैन समाज में चेतना एवं सक्रियता लाने के लिए आप सदैव प्रयत्नशील बने रहते थे। आप एक बार जो दृढ़ निश्चय कर लेते थे, फिर उससे कभी विचलित नहीं होते थे। सारा समाज आपके विचारों की दृढ़ता, स्पष्टता तथा व्यवहार में प्रामाणिकता के कारण आपको आदर की दृष्टि से देखता था। आपके एकमात्र पुत्र का स्वर्गवास सन् १९४७ ई० में नौ वर्ष की अल्पायु में हो गया। आप पांच पुत्रियों तथा एक दत्तक पुत्र का भरा-पूरा परिवार छोड़कर १९ अगस्त, १९७४ ई० को स्वर्गवासी हए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy