________________
जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
करकण्डुचरित १६५, १६६ करिणी ३४९ करिराजकथा ३२३ करिराजमहीपाल, २६१ करुणावज्रायुध ५९२ कर्क २४० कर्ण ३९७, ४०२, ५१३, ५२७ कर्णदेव ४४४, ४४६, ४४७ कर्णराज ५४१ कर्णसिंह ५२ कर्णाट ४१५ कर्णाटक ५९, १८८, २४०, ४७० कर्णामृतपुराण ६६ कर्नाटक ४६, ४७, ६४, ११९, ४४१,
५९४ कर्पूरकथामहोदधि २४३ कर्पूरप्रकर ५६० कपूरप्रकरटीका १३९ २४४ कपूरप्रकरणटीका १५४ कपूरमंजरी ५७५, ६००, ६०७ कपूरमंजरीसट्टक ५७५ कर्मकाण्ड ४८४ कर्मचन्द्र बच्छावत ४३३ कर्मचन्द्र मंत्री २२९ कर्मवंशोत्कीर्तनकाध्य २२९, ४३३ कर्मविपाक ५२ कर्मसारकथा ३३३ कलकत्ता ४७० कलापकरणसंधिगर्भितस्तव ५५५, ५५६ कलावती ९७, १३६, १७४, १७५,
कलावतीचरित ३५८ कलाविचक्षण ३८४ कलिंग १५२, ४१५, ४६६, ४७० कलि ५७६ कलियुग ४०६ कल्कि ४५ कल्चूरि ९ कल्पनिरुक्त १२२ कल्पमंजरी २४७ कल्पवल्ली ११४ कल्पसूत्र ३४, ४४६,४७२ कल्याणकीर्ति २८३, २९० कल्याणचन्द्र ३५४ कल्याणतिलक २१२ कल्याणमंदिर ५६४,५६८, ५७१ कल्याणमंदिरस्तोत्र ५५५,५६७, ५६९,
५७० कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका २६१ कल्याणविजय ३८, ७८, २१८ कल्याणविजयगणि २५२,४५०,४५४
कल्याणसागर ६०४ कल्हण ३९४, ४०२, ४१७, ४२१,
४२५ कविकल्पद्रुम ५२१ कविपरमेश्वर ६० कविराज ५२५ कविशिक्षा ५१४ कश्चिद्भट १८४ कश्मीर १४९, ४१५, ४२१, ४२२,
४२४, ४८१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org