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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास जैन साहित्य में स्तोत्र को थुइ, थुति, स्तुति या स्तोत्र नाम से कहा गया है । यद्यपि स्तव और स्तोत्र में कुछ विद्वानों पर वह पहले कदाचित् रहा है, पीछे ५६४ स्तव और स्तवन भी इसके नाम हैं । अर्थभेद दिखाने का प्रयत्न किया है तो सब एकार्थक माने जाने लगे । प्राचीन जैनागमों में आचारांग, सूत्रकृतांग आदि में उपधान श्रुताध्ययन और वीरस्तव ( वीरत्थय) जैसी विरल भावात्मक स्तुतियां देखने को मिलती हैं पर मध्यकाल आते-आते उवसग्गहर, स्वयम्भूस्तोत्र, भक्तामर, कल्याणमन्दिर आदि हृदय के भावों को जगाने वाले अनेक स्तोत्र लिखे गये । इन स्तोत्रों में २४ तीर्थंकरों के गुणकीर्तन पर लिखे गये स्तोत्र प्रमुख हैं । इनमें सबसे अधिक संख्या पार्श्वनाथ से सम्बन्धित स्तोत्रों की है ।' लगभग इतने ही स्तोत्र २४ तीर्थकरों की सम्मिलित स्तुतिरूप में लिखे गये हैं । इसके बाद ऋषभदेव' और महावीर पर लिखे स्तोत्रों की संख्या आती है, शेष तीर्थंकरों से सम्बन्धित स्तोत्र और भी कम हैं। पंचपरमेष्ठी अर्थात् अरहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं सर्व साधुओं की भक्ति पर लिखे गये स्तोत्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम ही है । जैनधर्म में भक्ति का रूप आराध्य को खुशकर कुछ पा लेने का नहीं इसलिए यहाँ भक्ति का रूप दास्य सख्य एवं माधुर्यभाव से सर्वथा भिन्न है । उत्तराध्ययन में स्तोत्र के फल के विषय में एक रोचक संवाद' मिलता है : यत्रथुइमंगलेण भंते ! जीवे किं जणयइ ? श्रवथुइमंगलेणं नाणदंसणचरित्तबोहिलाभं जणयइ । नाणदंसणचरित्तबोहिलाभसम्पन्ने य णं जीवे अंतकिरिय कप्पविमाणोववत्तियं आराहणं आराहेइ अर्थात् स्तुति करने से जीव ज्ञान, दर्शन और चारित्ररूप बोधिलाभ करता है । बोधिलाभ से उच्च गतियों में जाता १. जिनरत्नकोश, पृ० २४७-२४८, ४५३ में पार्श्वनाथ पर लिखे स्तोत्रों की सूची दी गई है। २. वही, पृ० ११३ - ११६, १३५-१३८ में इन स्तोत्रों की सूची प्रस्तुत है 1 ३. वही, पृ० २७-२९, ५७-५९, ३२१ ( युगादिदेवस्तुति आदि). ४. वही, पृ० ३०७, ३६३. ५. अध्ययन २९, सू० १४; उत्तराध्ययन, अंग्रेजी प्रस्तावना-टिप्पणी-सहित नार्ल शार्पेटियर, उपसला, १९२२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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