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________________ कथा-साहित्य ३७७ किया गया परन्तु कई जैन लेखकों ने इस पर स्वतंत्र रचनाएँ लिखी हैं।' देवमूर्ति ने इस कथा को अपने काव्य के चौथे सर्ग में दिया है। रचयिता और रचनाकाल-इसके रचयिता देवमूर्ति हैं जो कासद्रहगच्छ के देवचन्द्रसूरि के शिष्य हैं। इसकी रचना सं० १४७१ या १४७५ के लगभग की गई है । इनकी अन्य रचना रोहिणेयकथा भी मिलती है। २. विक्रमचरित-विक्रमादित्य के सम्बन्ध में प्रचलित लोककथाओं के संग्रहरूप में शुभशीलगणिकृत द्वितीय रचना मिलती है। यह १२ अध्यायों में विभक्त रचना है जिसमें कुल मिलाकर ५८९७ श्लोक हैं। यह सरल वर्णनात्मक शैली में लिखी गई है। इसमें देवमूर्ति की पूर्व रचना के अनुसार ही विक्रम का पूर्ण जीवनवृत्त देने का प्रयत्न किया गया है। दोनों कृतियों में अनेक प्राकृत और अपभ्रंश पद्य प्रक्षिप्त हैं। ___ इस काव्य की विशेषता यह है कि इसमें देवमूर्ति की रचना के समान सिंहासन सम्बन्धी बत्तीस कथाएँ नहीं दी गई हैं परन्तु प्रबन्धकोश के समान केवल चार कथाएँ दी गई हैं। इसमें विक्रमादित्य के पुत्र का नाम देवकुमार अपर नाम विक्रमसेन दिया गया है। इसके नवम सर्ग में पंचदण्डच्छत्र की कथा दी गई है। रचयिता एवं रचनाकाल-इसके रचयिता तपागच्छीय मुनिसुन्दरसूरि के शिष्य शुभशीलगणि हैं। ये अनेक ग्रन्थों के लेखक हैं। इनका परिचय हम पहले दे चुके हैं। प्रस्तुत विक्रमचरित्र की रचना सं० १४९९ में की गई थी।३ १. इस पर किसी जैनेतर लेखक की रचना प्राप्त नहीं है। २. जिनरत्नकोश, पृ. ३५०; हेमचन्द्राचार्य ग्रन्थमाला, अहमदाबाद, सं० १९८१, दो भागों में प्रकाशित. ३. इन ग्रन्थों की तीन हस्तलिखित प्रतियों में रचनासंवत् १४९९ दिया गया है : निधाननिधिसिन्विन्दवत्सरात् विक्रमार्कतः ।। शुभशीलयतिश्चक्रे चरित्रं विक्रमोष्णगोः ॥ पर वीर उपाश्रय के ज्ञानभण्डारवाली प्रति में सं० १९९० दिया गया है : श्रीमद्विक्रमकालाच्च खंनिधि रत्नसंज्ञके ( १४९०)। वर्षे माघे सिते पक्षे शुक्लचातुर्दशीदिने ॥ पुष्ये रवौ स्तम्भतीर्थे शुभशीलेन पण्डिता। विदधे रचितं ह्येतत् विक्रमार्कस्य भूपतेः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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