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कथा-साहित्य
३१९ संस्कृत में उक्त कथा पर कुशलरुचिकृत एक कृति है जिसकी हस्तलिखित प्रति सं० १५६४ की मिलती है। दूसरी चारित्रोपाध्यायकृत सं० १९१३ की उपलब्ध है। प्राकृत में ३०० ग्रन्थान-प्रमाण रचना है । इसके कर्ता का नाम ज्ञात नहीं है। एक और अज्ञातकर्तृक रचना का उल्लेख मिलता है।
नागदत्तकथा-नागदत्त की कथा कई प्रसंगों के उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत की गई है। आवश्यकनियुक्ति के प्रतिक्रमण अध्ययन में नागदत्त की कथा आई है। हरिषेण के बृहत्कथाकोश ( १०वीं शताब्दी) में निर्मोहिता के उदाहरणरूप में नागदत्त की कथा दी गई है। कई कथाकोशों में अदत्त-अग्रहण के उदाहरणरूप में यह कथा वर्णित है । एक रचना अष्टाह्निका पर्व के माहात्म्य को सूचित करने के लिए भी रची गई है । प्राकृत में १००० ग्रन्थान का नागदत्तचरियं ( अज्ञातकतृक ) भी मिलता है।
विक्रमसेनचरित-इसमें विक्रमसेन नरेश का सम्यक्त्वलाभ से लेकर सर्वार्थसिद्धि विमान जाने तक का वृत्तान्त प्राकृत छन्दों में वर्णित है। साथ ही दान, तप, भावना के प्रसंग से १४ कथाएँ भी दी गई हैं। यह एक उपदेशकथाग्रन्थ है।
इसके रचयिता ने अपना नाम पद्मचन्द्र शिष्य मात्र दिया है। रचनासमय अज्ञात है।
अनिकाचार्य-पुष्पचूलाकथा-इसमें तपस्वी अन्निकाचार्य और साधुओं की सतत वैयावृत्य ( सेवा ) कर केवलज्ञान प्राप्त करनेवाली महिला पुष्पचूला की कथा दी गई है। शुभशीलगणिकृत भरतेश्वर-बाहुबलिवृत्ति में भी यह कथा आई है। इसके पूर्व उपदेशमाला और उपदेशप्रासाद में भी यह कथा वर्णित है।
इसकी स्वतंत्र रचना' तपागच्छीय अमरविजय के शिष्य मुनिविजयकृत उपलब्ध होती है। रचनासमय अज्ञात है।
१-४. जिनर नकोश, पृ० २३६ और २६३-२६४. ५-६. वही, पृ० २१०. ७. वही, पृ० ३५०, पाटन ग्रन्थभण्डार सूची, भाग १, पृ. १७३. ८. ५वीं और ३२वी कथा. ९. जिनरत्नकोश, पृ० ११.
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