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________________ २१४ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास पादलितसूरिकथा-पादलिप्तसूरि तरंगवतीकथा के कर्ता माने जाते हैं। इनका एक चरित प्राकृत गाथाओं में निर्मित है।' प्रारम्भ 'अस्थि इह भरहवसि' से होता है। इसकी प्राचीनतम हस्तलिखित प्रति सं० १२९१ की है। अन्य पादलिप्तसूरिकथा (संस्कृत) का भी उल्लेख मिलता है । सिद्धसेनचरित-सन्मतितर्क आदि ग्रन्थों के कर्ता सिद्धसेन पर एक हस्तलिखित प्रति सं० १२९१ की पाटन के भण्डार में मिलती है। यह प्राकृत मल्लवादिकथा-द्वादशारनयचक्र के कर्ता मल्लवादो पर भी एक प्राकृत रचना है । इसकी हस्तलिखित प्रति सं० १२९१ की मिली है। मलयगिरिचरित-इस कृति का उल्लेख मिलता है।" बप्पभहिचरित-गुर्जर प्रतिहार नरेश आमनागावलोक-गुरु पादलित पर भी कई रचनाएँ मिलती हैं। उनमें से एक का दूसरा नाम अप्पभट्टसूरिप्रबन्ध पुण्यप्रदीप है। इसमें ७०० पद्य (संस्कृत) हैं। कर्ता का नाम माणिक्यसूरि है। माणिक्यसूरि नाम से ६-७ आचार्य हुए हैं। ये कौन हैं, निर्णय करना कठिन है। एक दूसरी रचना 'बपभट्टिकथा' ६८५ गाथाओं में प्राकृत में उपलब्ध है। इसकी प्राचीनतम प्रति सं० १२९१ की मिलती है। राजशेखरसूरि के प्रबन्धकोश से भी लेकर बप्पट्टिचरित्र अलग प्रकाशित हुआ है। दो अज्ञातकतृक रचनाओं का भी पता लगा है। १. जिनरत्नकोश, पृ० २४३, पाटनसूची, भाग १, पृ० १९४-५. १. वही. ३. वही, पृ. ४३८, पाटनसूची, भाग १, पृ० १९४-५. ४. वही, पृ. ३०२, पाटनसूची, भाग १, पृ० १९५-५. ५. वही. ६. वही, पृ० २८२. ७. वही; पाटनसूची, भाग १, पृ. १९५. 1. भागमोदय समिति ग्रन्थमाला, पं० ४६, बम्बई, १९२६. ९. जिनरत्नकोश, पृ० २८२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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