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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
नगर में वघेला नरेश वीसलदेव के राज्य में वि० सं० १३१२ में दीपावली के दिन हुई थी ।
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अभयकुमारचरित नाम की रचनाओं में भट्टारक सकलकीर्तिकृत तथा एक अज्ञात लेखक की रचना का उल्लेख मिलता है ।"
महावीरकालीन अन्य पात्रों के चरित :
भगवान् महावीर के समकालीन अनेक सन्तों, नरेशों, धार्मिक राजकुमारों, राजकुमारियों तथा सेठ, गृहस्थ एवं अन्य वर्ग के लोगों के चरित्र पर भी जैन कवियों ने काव्य लिखे हैं ।
राजन्यवर्ग में राजगृह के नृप श्रेणिक और उसके राजकुमारों के अतिरिक्त कौशाम्बी नरेश पर उदयनचरित्र', उज्जैनी नृप पर प्रद्योतकथा, सिन्धु- सौवीर नृपति पर उदायनराजकथा, दशार्णभद्र देश के राजा पर दशार्णभद्रचरित' ( प्राकृत ) तथा हस्तिनापुर के नरेश पर शिवराजर्षिचरित' लिखे गये हैं । इसी तरह राजकुमारों में पृष्ठचम्पा के राजकुमार महाशाल, अतिमुक्तक' और मृगापुत्र' पर चरितग्रन्थ उपलब्ध हैं ।
धार्मिक सेठों में धन्यकुमार - शालिभद्र के अतिरिक्त सुदर्शन सेठ" पर भी कई काव्य लिखे गये हैं। धनी गृहस्थों में कामदेव" श्रावक का चरित्र उल्लेखनीय है । इसी तरह आनन्दादि दस श्रावकों पर भी चरितग्रन्थ उपलब्ध हैं ।
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१. जिनरत्नकोश, पृ० १३.
२. वही, पृ० ४६.
३. वही, पृ० २६४.
४. वही, पृ० ४६
५. वही, पृ० १७१.
६. वही, पृ० ३८४.
19. वही, पृ० ३०७.
८. वही, पृ० ४.
९. वही, पृ० ३१३.
१०. वही, पृ० ४४४.
११. वही, पृ० ८४.
१२. वही, पृ० ३०.
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