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पौराणिक महाकाव्य
अन्य श्रेणिकचरितों में जिनप्रभ के श्रेणिकद्वयाश्रयकाव्य का शास्त्रीय काव्यों में वर्णन करेंगे। भट्टा० शुभचन्द्र का श्रेणिकपुराण एक साधारण रचना है जो हिन्दी अनुवाद के साथ प्रकाशित है। शेष का उल्लेख मिलता है। ____ जैनागमों में न केवल श्रेणिक का ही चरित वर्णित है बल्कि उसके राजकुमारों का भी। जैन कवियों ने जिस तरह श्रेणिक पर स्वतंत्र काव्य रचनाएँ की है उसी तरह उसके राजकुमारों पर भी चरित एवं कथा-ग्रन्थ लिखे हैं। राबा श्रेणिक की अनेक रानियाँ थी और उनसे अनेक राजकुमार थे। उनमें से अशोकचन्द्र' अर्थात् कुणिक या अजातशत्रु पर, दूसरे पुत्र अभयकुमार तथा अन्य राजकुमारों में मेघकुमार' और नन्दिषेण पर चरित-काव्य एवं कथाएँ मिलती हैं। इनमें से अभयकुमार-चरित्र पर लिखा एक काव्य कुछ महत्त्वपूर्ण है, उसका परिचय यहाँ प्रस्तुत किया जाता है ।
अभयकुमारचरित-यह अभयाङ्क चिह्नित काव्य १२ सर्गों का है। इसका रचना-परिमाण ९०३६ श्लोक है। इसमें राजा श्रेणिक के पुत्र अभयकुमार का विस्मयकारी चरित्र वर्णित है। संक्षेप में वह इस प्रकार है-राजगृह के राना प्रसेनजित के कई पुत्रों में चातुर्यगुण-सम्पन्न एक पुत्र श्रेणिक था। पर पिता की उपेक्षा के कारण वह परदेश चला जाता है जहाँ वह श्रेष्ठीपुत्री नन्दा से विवाह कर लेता है। कुछ दिनों बाद पिता की रुग्णता का समाचार पाकर वह राजगृह लौटता है। वहाँ उसका राजतिलककर प्रसेनजित स्वर्गवासी हो जाता है। इधर पितृगृह में नन्दा के पुत्र उत्पन्न होता है जिसका नाम अभयकुमार रखा जाता है । वयस्क होने पर अभयकुमार अपनी माता को साथ लेकर राजगृह अपने पिता के पास आता है। पुत्र के चातुर्य से प्रसन्न होकर श्रेणिक उसे प्रधान मंत्री बना देता है। दूसरे-तीसरे सर्ग में अभयकुमार की चातुरी से श्रेणिक का विवाह वैशालीनरेश चेटक की पुत्री चेल्लना से होता है। गर्भवती
१. दिग० जैन पुस्तकालय, सूरत. २. जिनरत्नकोश, पृ० ३९९. ३. वही, पृ० १७. ४. वही, पृ० १२-१३. ५. वही, पृ० ३१३. ६. वही, पृ० १९९. ७. जैन भारमानन्द सभा, भावनगर, १९१७, जिनरत्नकोश, पृ० १२.
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