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________________ पौराणिक महाकाव्य १२८६ से लेकर १३४५ तक प्रमाणित होता है । इसी बीच में उन्होंने पार्श्वनाथचरित्र एवं अन्य कृतियाँ रची होंगी । ४. पार्श्वनाथचरित : यह पांच सर्गों का काव्य है । इसकी एक मात्र ताड़पत्रीय प्रति मिलती है' पर वह भी अति जीर्ण है । प्रारंभ के १५६ पृष्ठ लुत हैं ।' कुल पृ० संख्या ३४५ है । इसके रचयिता सुधर्मागच्छीय गुणरत्नसूरि के शिष्य सर्वानन्दसूरि हैं । इनकी दूसरी रचना चन्द्रप्रभचरित्र सं० १३०२ में रची गई थी। जिनरत्नकोश के अनुसार प्रस्तुत कृति का रचनाकाल सं० १२९१ है । इस काव्य का परिमाण ८००० श्लोक - प्रमाण सिद्ध होता है । ५. पार्श्वनाथ चरित : इस काव्य में आठ सर्ग हैं । यह भावाङ्कित महाकाव्य है । सर्गों के नाम भी वर्ण्य विषय के आधार पर रखे गये हैं। वैसे इस चरित में महाकाव्य के बाह्य सभी लक्षणों का समावेश है किन्तु इसमें उदात्त भाषा-शैली तथा उत्कृष्ट afare कला के अभाव से इसे प्रमुख महाकाव्यों की पंक्ति में स्थान नहीं दिया ना सकता । यह एक पौराणिक महाकाव्य माना गया है। इसका प्रारम्भ रूढ़िपरक मंगलाचरण से किया गया है । कथानक परम्परासम्मत है और कवि ने उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया है। इसमें पार्श्वनाथ के भवान्तर और बीचबीच में अनेक कथाओं तथा धर्मोपदेश और स्तोत्रों की पुराणों के अनुरूप कुछ अलौकिक एवं चमत्कारपूर्ण घटनाएँ गई हैं । यह काव्य भी वैराग्य - भावना से ओत-प्रोत है। इसकी रचना अनुष्टुप् वृत्त में हुई है पर प्रत्येक सर्ग का अन्तिम पद्य इतर छन्द में है जैसे - प्रथम, षष्ठ और अष्टम सर्गों के अन्त का छन्द वसन्ततिलका; द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, पंचम तथा सप्तम सर्गों का शार्दूलविक्रीडित है । सप्तम के मध्य में पद्य संख्या ३५९ से ३६६ तक वसन्ततिलका छन्द का प्रयोग हुआ है । प्रशस्ति में उपर्युक्त छन्दों १२३ Jain Education International १. संघवीपाड़ा भण्डार, पाटन, सं० २७. २. जिनरत्नकोश, पृ० २४५. ३. यशोविजय जैन ग्रन्थमाला; सन् १९१२; इसका सारानुवाद अंग्रेजी में ब्लूमफील्ड ने वाल्टीमोर से सन् १९१९ में प्रकाशित कराया । ४. समीक्ष्य बहुशास्त्राणि श्रुत्वा श्रुतधराननात् । ग्रन्थोऽयं ग्रथितः स्वल्पसूत्रेणापि मया रसात् ॥ सर्ग १, श्लोक ११. For Private & Personal Use Only योजना की गई है। प्रस्तुत काव्य में दी www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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