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नियुक्तिय और नियुक्तिकार संहिता मिलती है वह कृत्रिम है, ऐसा विद्वानों का मत है । ओघनियुक्ति और पिण्डनियुक्ति क्रमशः आवश्यकनियुक्ति और दशवकालिकनियुक्ति को ही अंगरूप हैं । निशीथनियुक्ति आचारांगनियुक्ति का ही एक अंग है क्योंकि निशोथ सूत्र को आचारांग की पञ्चम चूलिका के रूप में ही माना गया है।'
१. देखिए-आचारांगनियुक्ति, गा. ११ तथा गा. २९७ एवं उनको
शीलांककृत वृत्ति,
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