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प्रकाशकीय द्वितीय संस्करण
जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ग्रन्थमाला के अन्तर्गत इस भाग में जैनागमों पर लिखी गयी नियुक्तियों भाष्यों, चूर्णियों, वृत्तियों, टीकाओं आदि का विवेचन किया गया है । इसका प्रथम संस्करण १९६० ई० में प्रकाशित हुआ था और पिछले कुछ समय से इसको प्रतियाँ विक्रयार्थ उपलब्ध नहीं थीं । इसकी उपयोगिता और मांग को देखते हुए हमने इसका द्वितीय संस्करण प्रकाशित करने का निर्णय किया । इसमें प्रथम संस्करण की सम्पूर्ण सामग्री को यथावत् रखा गया है ।
इस ग्रन्थ के प्रकाशन की उपयुक्त व्यवस्था संस्थान के निदेशक डा० सागरमल जैन ने की है, अतः सर्वप्रथम मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ । प्रूफ रीडिंग और शब्दानुक्रमणिका तैयार करने में डा० अशोक कुमार सिंह और डा० शिवप्रसाद का सहयोग प्राप्त हुआ है, अतः इसके लिये भी हम आभारी हैं ।
अन्त में इस ग्रन्थ के सुन्दर तथा त्वरित मुद्रण के लिये मैं वर्धमान मुद्रणालय, वाराणसी के संचालकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ ।
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भूपेन्द्रनाथ जैन
मंत्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान वाराणसी
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