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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
मन्त्र की आराधना की । मन्त्र के अधिष्ठाता विमलेश्वरदेव ने प्रसन्न होकर तीनों से कहा कि तुम लोग अपना इच्छित वरदान मांगो। उस समय हेमचन्द्र ने राजा को प्रतिबोध देने का, देवेन्द्रसूरि ने एक रात में कान्ती नगरी से सेरीसक ग्राम में मंदिर लाने का और मलयगिरिसूरि ने जैन सिद्धान्तों की वृत्तियां-टीकाएँ लिखने का वर मांगा। तीनों को अपनी-अपनी इच्छानुसार वर देकर देव अपने स्थान पर चला गया।
उपयुक्त उल्लेख से यह फलित होता है कि (१) मलयगिरिसूरि आचार्य हेमचन्द्र के साथ विद्यासाधना के लिए गये थे, (२) उन्होंने जैन आगमग्रंथों की टीकाएं लिखने का वरदान प्राप्त किया था और (३) वे 'सरि' पद अर्थात् 'आचार्य' पद से विभूषित थे। मलयगिरि के लिए आचार्यपदसूचक एक और प्रमाण उपलब्ध है जो इससे भी अधिक प्रबल है। यह प्रमाण मलय गिरिविरचित शब्दानुशासन में है जो इस प्रकार है : एवं कृत मङ्गलरक्षाविधानः परिपूर्णमल्पग्रन्थं लघूपाय आचार्यो मलयगिरिः शब्दानुशासनमारभते । इसमें मलयगिरि ने अपने लिए स्पष्टरूप से आचार्य पद का प्रयोग किया है। इसी प्रकार आचार्य मलयगिरि और आचार्य हेमचन्द्र के सम्बन्ध पर प्रकाश डालने वाला एक प्रमाण मलयगिरि विरचित आवश्यकवृत्ति में है जिससे यह प्रकट होता है कि आचार्य मलयगिरि आचार्य हेमचन्द्र को अति सम्मानपूर्ण दृष्टि से देखते थे। आचार्य मलयगिरि लिखते हैं : तथा चाहः स्तुतिषु गुरवः
अन्योन्यपक्षप्रतिपक्षभावाद्, यथा परे मत्सरिणः प्रवादाः । नयानशेषानविशेषमिच्छन्, न पक्षपाती समयस्तथा ते ।। यह कारिका आचार्य हेमचन्द्रकृत अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका की है जिसे आचार्य मलयगिरि ने अपनी आवश्यकवृत्ति में उद्धृत किया है । उद्धृत करने के पूर्व आचार्य हेमचन्द्र के लिए 'गुरवः' पद का प्रयोग किया है। इस अति सम्मानपूर्ण प्रयोग से यह स्पष्ट है कि आचार्य हेमचन्द्र के पाण्डित्य का प्रभाव मलयगिरिसूरि पर काफी गहरा था। इतना ही नहीं, आचार्य हेमचन्द्र मलयगिरिसरि की अपेक्षा व्रतावस्था में भी बड़े ही थे, वय में चाहे बड़े न भी हों । अन्यथा आचार्य हेमचन्द्र के लिए 'गुरवः' शब्द का प्रयोग करना मलयगि'िमूरि के लिए इतना सरल न होता। जैन आगमों पर टीकाएँ लिखने की आचार्य मलयगिरि की इच्छा तो उनकी उपलब्ध टीकाओं में प्रतिबिम्बित है ही।
मलयगिरि ने कितने ग्रंथ लिखे, इसका स्पष्ट उल्लेख तो कहीं उपलब्ध नहीं होता । उनके जितने ग्रंय इस समय उपलब्ध हैं तया जिन ग्रन्यों के नामा का
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