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________________ ३६२ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास अन्तर्गत हैं जबकि पुराणादि का लौकिक अनिशीथश्रुत में समावेश है । इसी प्रकार rea श्रुत भी लौकिक और लोकोत्तर भेद से दो प्रकार का होता है ।' आचार्यपरम्परा से चले आने वाले अनेक प्रकार के कथानक आदि अबद्ध श्रुत के अन्तर्गत हैं । क्षुल्लक निर्ग्रन्थीय नामक छठें अध्ययन की व्याख्या में निर्ग्रन्थ के भेद-प्रभेदौ की चर्चा करते हुए 'आह च भाष्यकृत्' ऐसा कहते हुए टीकाकार ने चौदह भाष्य-गाथाएँ उद्धृत की हैं? जो उत्तराध्ययनभाष्य की ही प्रतीत होती हैं । २ आठवें अध्ययन - कापिलोयाध्ययन के विवेचन में संसार की अनित्यता का प्रतिपादन करते हुए 'तथा च हारिलवाचक.' इन शब्दों के साथ हारिलवाचक का निम्न श्लोक उद्धृत किया गया है : चलं राज्यैश्वर्यं धनकनकसारः परिजनो, नृपाद्वाल्लभ्यं च चलममरसौख्यं च विपुलम् | चलं रूपाऽऽरोग्यं चलमिह चरं जीवितमिदं, जनो दृष्टो यो वै जनयति सुखं सोऽपि हि चलः ।। प्रिव्रज्या नामक नववें अध्ययन के विवरण में 'यत आह आससेनः' ऐसा निर्देश करते हुए अष्टमी और पूर्णिमा के दिन नियत रूप से पौषध का विधान करने वाली निम्नलिखित आससेनीय ( अश्वसेनीय) कारिका उद्धृत की गई है • ४ सर्वेष्वपि तपोयोगः, प्रशस्तः कालपर्वसु । अष्टम्यां पंचदश्यां च नियतं पोषधं वसेद् ॥ प्रवचनमात्राख्य चौबीसवें अध्ययन की वृत्ति के अन्त में गुप्ति का स्वरूप बताते हुए टीकाकार ने 'उक्तं हि गन्धहस्तिना' ऐसा लिखते हुए आचार्य गन्धहस्ती का एक वाक्य उद्धृत किया है । वह इस प्रकार हैं : सम्यगागमानुसारेणा रक्तद्विष्टपरिणति सहचरितमनोव्यापार: कायव्यापारो वाग्व्यापारश्च निर्व्यापारता वा वाक्काययोगुप्तिरिति । जीवाजीव विभक्ति नामक छत्तीसवें अध्ययन को व्याख्या में जिनेन्द्रबुद्धि का नामोल्लेख किया है एवं धर्माधर्मास्तिकाय के वर्णन के प्रसंग पर उनका एक वाक्य भी उद्धृत किया गया है । स्त्रीशब्द का विवेचन करते हुए आगे टीकाकार ने Jain Education International १. पृ० २०४. ४. पृ० ३१५ (१) २. द्वितीय विभाग, पृ० २५७. ५. तृतीय विभाग, पू० ५१९. For Private & Personal Use Only ३. २८९ (१). ६. पृ० ६७२ (२). www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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