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________________ षष्ठ प्रकरण ओघनियुक्ति लघुभाष्य प्रस्तुत प्रकरण के प्रारंभ में भाष्यों का सामान्य परिचय देते समय हमने आवश्यकादि सूत्रों पर लिखे गए भाष्यों के जो नाम गिनाए हैं उनमें से निम्नलिखित छः भाष्य प्रकाशित हो चुके हैं : १. विशेषावश्यकभाष्य, २. जीतकल्पभाष्य, ३. बृहत्कल्पलघुभाष्य, ४. व्यवहारभाष्य, ५. ओघनियुक्तिलघुभाष्य और ६. पिण्डनियुक्तिभाष्य । इनमें से प्रथम चार का विस्तृत परिचय दिया जा चुका है। ओपनियुक्तिलघुभाष्य और पिण्डनियुक्तिभाष्य की गाथा-संख्या बहुत बड़ी नहीं है । प्रथम में ३२२ और द्वितीय में ४६ गाथाएँ है। ये गाथाएँ नियुक्तियों में मिश्रितरूप में उपलब्ध हैं तथा गिनती में नियुक्तियों की गाथाओं से कम हैं। व्यवहारभाष्यकार की भांति इन दोनों भाष्यकारों के नाम का भी कोई उल्लेख नही मिलता। ओघनियुक्तिलघुभाष्य' में निम्न विषयों का समावेश है : ओघ, पिण्ड, समास और संक्षेप एकार्थक हैं; व्रत, श्रमणधर्म, संयम, वैयावृत्य, ब्रह्मचर्यगुप्ति, ज्ञाना"दित्रिक, तप और क्रोधनिग्रहादि चरण हैं; पिण्ड विशुद्धि, समिति, भावना, प्रतिमा, इन्द्रियनिरोध, प्रतिलेखना, गुप्ति और अभिग्रह करण है; अनुयोग चार प्रकार का होता है : चरणकरणानुयोग, धर्मकथानुयोग, गणितानुयोग और द्रव्यानुयोग; ग्लान साधु की परिचर्या क्यों करनी चाहिए व उसकी क्या विधि है; भोजन -ग्रहण को निर्दोष विधि व तत्सम्बन्धी यतनाएं; साधुओं के विचरण का समय और तद्विषयक मर्यादाएं आदि; ग्राम में प्रवेश तथा शकुनापशकुन का विचार; स्थापनाकुलों को स्थापना व उसकी अनिवार्यता; कायोत्सर्ग करने की विधि और उसके लिए उपयुक्त स्थान, आसन आदि; औपघातिक के तीन भेद : आत्मोपधा१. नियुक्ति-भाष्य-द्रोणाचार्यसूत्रितवृत्तिभूषित : प्रकाशक-शाह वेणीचन्द्र सुर चन्द्र, आगमोदय समिति, मैसाना, सन् १९१९, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002096
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages520
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Canon, & Agam
File Size19 MB
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