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नवम प्रकरण
व्यवहारनियुक्ति व्यवहार सूत्र और बृहत्कल्प सूत्र एक दूसरे के पूरक हैं। जिस प्रकार बृहत्त ल्पसूत्र में श्रमण-जीवन की साधना के लिए आवश्यक विधि-विधान, दोष, अपवाद आदि का निर्देश किया गया है उसी प्रकार व्यवहारसूत्र में भी इन्हीं विषयों से संबंधित उल्लेख हैं। यही कारण है कि व्यवहार-नियुक्ति में भी अधिकतर उन्हीं अथवा उसी प्रकार के विषयों का विवेचन है जो बृहत्कल्पनियुक्ति में उपलब्ध हैं। इस प्रकार ये दोनों नियुक्तियाँ परस्पर पूरक हैं । व्यवहारनियुक्ति भी भाष्यमिश्रित अवस्था में ही मिलती है ।
१. नियुक्ति-भाष्य-मलयगिरिविवरणसहित-प्रकाशक : केशवलाल प्रेमचंद मोदी
व त्रिकमलाल. उगरचंद्र, अहमदाबाद, वि० सं० १९८२-५.
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