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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास किया जाता हुआ और अभिवादन किया जाता हुआ राजा कुणिक पूर्णभद्र चैत्य में पहुँचा। दूर से महावीर को देखकर वह अपने हाथी से उतरा, उसने अपने राजचिह्नों को उतार दिया और उनके पास पहुँच पाँच अभिगम' पूर्वक तीन बार प्रदक्षिणा कर, नमस्कार कर और अपने हस्तपाद को मंकुचित कर धर्मश्रवण के लिए बैठ गया ( ३२)।
सुभद्राप्रमुख रानियाँ भी स्नान आदि कर सर्वालंकार विभूषित हो देश-विदेश की अनेक कुशल दासियों२ तथा वर्षधर (अन्तःपुर की रक्षा करनेवाले नपुंसक), कंचुकी और महत्तर आदि से परिवृत्त हो अन्तःपुर से निकली और यानों में बैठकर भगवान के दर्शन के लिए चली। पूर्णभद्र चैत्य में पहुँच कर वे यानों से उतरी और पाँच अभिगमपूर्वक महावीर की प्रदक्षिणा कर, उन्हें नमस्कार कर, कूणिक राजा को आगे कर, परिवार सहित खड़ी हो भगवान् की उपासना करने लगी (३३)। _____ महावीर मेघ के समान गंभीर ध्वनि से अर्धमागधी भाषा में महती परिषद् में उपस्थित जनसमूह को धर्मोपदेश देने लगे। उन्होंने निर्ग्रन्थ-प्रवचन का प्रतिपादन करते हुए अगार और अनगार धर्म का उपदेश दिया ( ३४)।
धर्मोपदेश श्रवण कर परिषद् के सभासदों ने तीन बार प्रदक्षिणा कर भगवान् को अभिवादन किया। कुछ ने अगार धर्म का त्याग कर अनगार धर्म धारण
१. सचित्त द्रव्य का त्याग, अचित्त का ग्रहण, एकशाटी उत्तरासंग धारण,
भगवान् के दर्शन करने पर हाथ जोड़कर अभिवादन एवं मन
की एकाग्रता। २. कुब्जा, चिलात (किरात) देश की रहनेवाली, बौनी, वडभी (बड़े
पेटवाली), बर्बर देश की रहनेवाली, बउस (?) देश की रहनेवाली, यवन देश की रहनेवाली, पह्नव देश की रहनेवाली, ईसान (?) देश की रहनेवाली, धोरुकिन (?) या वारुण देश की रहनेवाली, लासक देश की रहनेवाली, लउस (?) देश की रहनेवाली, सिंहल की रहनेवाली, द्रविड की रहनेवाली, अरब की रहनेवाली, पुलिंद की रहनेवाली, पक्कण
की रहनेवाली, मुरुंड की रहनेवाली, शबरी और पारस की रहनेवाली। ३. वात्स्यायन के कामसूत्र में कंचुकीया और महत्तरिका का उल्लेख है। इनके
द्वारा अन्तःपुर की रानियाँ राजा के पास संदेश भेजा करती थीं। देखियेजगदीशचन्द्र जैन, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ० ५४-५५.
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