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मावश्यक
गुप्ति, चार अकषाय, पञ्च महाव्रत, छः जीवनिकायों की रक्षा, सात पिंडैषणा, आठ प्रवचनमाता, नौ ब्रह्मचर्यगुप्ति और दस श्रमणधर्म-इनकी विराधना की हो, वह सब मिथ्या हो । गमनागमन से प्राण, बीज, हरित, अप्काय और पृथ्वीकाय आदि एकेन्द्रिय तथा द्वीन्द्रिय आदि जीवों को किसी प्रकार का कष्ट पहुँचाया हो, वह मिथ्या हो । सोते हुए, शरीर को स्कुचित करते हुए अथवा फैलाते हुए जीवों को जो कष्ट पहुँचाया हो, वह मिथ्या हो । गोचरी के लिए जाते समय जीवों की जो विराधना हुई हो, वह मिथ्या हो । स्वाध्याय आदि न करने से जो दोष हुए हों, वे मिथ्या हो ।' आगे पाँच क्रिया, पाँच कामगुण आदि से निवृत्त होने की इच्छा, चतुर्दश जीवसमूह, सतरह असंयम, अठारह अब्रह्म, बीस असमाधिस्थान तथा इक्कीस शबल आदि से निवृत्त होने की भावना का वर्णन है । "अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका आदि की आशातनापूर्वक यदि हीन अक्षर उच्चारण कर, अति अक्षर उच्चारण कर अथवा पदहीन अक्षर उच्चारण कर स्वाध्याय में प्रमाद किया हो तो वह मिथ्या हो। उस धर्म का मैं श्रद्धान करता हूँ, उस धर्म की आराधना के लिए उद्यत हूँ, असंयम को त्यागता हूँ, संयम को प्राप्त होता हूँ, मिथ्यात्व को त्यागता हूँ, सम्यक्त्व को प्राप्त होता हूँ, समस्त दैवसिक अतिचारों से निवृत्त होता हँ. माया और मृषा से वर्जित हो मैं ढाई द्वीप-समुद्रों की पन्द्रह कर्मभूमियों में जितने महावतधारी साधु हैं उन सब को सिर झुका कर वन्दन करता हूँ।" कायोत्सर्ग : - कायोत्सर्ग अर्थात् ध्यान के लिए शरीर की निश्चलता। "मैं कायोत्सर्ग में स्थित रहना चाहता हूँ। सूत्र, मार्ग ओर आचार का उल्लंघन कर मन, वचन और काय से जो मैंने ज्ञान, दर्शन, चारित्र, श्रुत, सामायिक आदि की विराधना की है, वह मिथ्या हो । समस्त लोक में अर्हन्त-चैत्यों के चन्दन, पूजन, सत्कार, सम्मान, बोधिलाभ और निरुपसर्ग ( मोक्ष ) के लिए कायोत्सर्ग करता हूँ। पुष्करवर द्वीपार्ध, धातकीखंड, जम्बूद्वीप, भरत, ऐरावत
और विदेह में धर्म के आदि तीर्थंकर को नमस्कार करता हूँ। तिमिरपटल को विध्वंस करने वाले सीमन्धर की वन्दना करता हूँ। श्रुत भगवान् के वन्दन, पूजन आदि के निमित्त कायोत्सर्ग करता हूँ। सिद्ध, बुद्ध, पारङ्गत, परम्परागत, लोकाग्र भाग में अवस्थित सर्व सिद्धों को नमस्कार करता हूँ। देवों के देव महावीर की वन्दना करता हूँ। ऊर्जयन्त ( गिरनार) पर दीक्षा ग्रहण कर ज्ञान प्राप्त करने
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