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१८१.
१८१ .. १८२.
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१८८
१९०
द्रुमपुष्पित श्रामण्यपूर्विक क्षुल्लिकाचार-कथा पडजीवनिकाय पिण्डैषणा-पहला उद्देश पिण्डैषणा-दूसरा उद्देश महाचार-कथा वाक्यशुद्धि आचार-प्रणिधि विनय समाधि-पहला उद्देश विनय-समाधि-दूसरा उद्देश विनय समाधि-तीसरा उद्देश विनय-समाधि-चौथा उद्देश सभिक्षु पहली चूलिका-रतिवाक्य
दूसरी चूलिका-विविक्तचर्या ४. पिंडनियुक्ति
आठ अधिकार उद्गमदोष उत्पादनदोष एषणादोष ओघनियुक्ति प्रतिलेखना पिण्ड उपधि अनायतन आदि
छेदसूत्र १.. दशाश्रुतस्कंध
छेदसूत्रों का महत्त्व
१९५-१९८
२०१-२१०
.२०७ २०९
२१०
२१५-२३४
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