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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास संवत्सराधिकार (१५४), नक्षत्राधिकार (१५५-५६), नक्षत्रों के देवता (१५७-१५८), नक्षत्रों के गोत्र और आकार ( १५९), नक्षत्र, चन्द्र और सूर्य का योगकाल (१६०), नक्षत्रों के कुल आदि ( १६१), वर्षाकाल आदि में नक्षत्रों का योग ( १६२), चन्द्र, सूर्य और तारामंडल का परिवार ( १६२१६४ ), नक्षत्रों का आभ्यन्तर संस्थान-विस्तार ( १६५ ), चन्द्र आदि विमानों को वहन करने वाले देवी-देवता (१६६ ), चन्द्र, सूर्य, ग्रह और नक्षत्रों की गति की तुलना (१६७-१६९), ज्योतिष्केन्द्रों की अग्रमहिषियों और देवों की स्थिति ( १७०), नक्षत्रों के अधिष्ठाता (१७१), चन्द्र आदि का अल्पबहुत्व और जिन आदि की संख्या ( १७२-१७३) और जम्बूद्वीप का विस्तार आदि का उल्लेख है (१७४-१७६)।
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