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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
प्रकार की प्रवृत्ति हिंसारूप होती है जो वृत्ति अर्थात् भावना को तीव्रता-मंदता के अनुसार कर्मबंध का कारण बनती है । - प्रसंगवशात् सूत्रकार ने अष्टांगनिमित्तों एवं अंगविद्या आदि विविध विद्याओं का भी उल्लेख किया है। दीघनिकाय के सामञफलसुत्त में भी अंगविद्या, उत्पातविद्या, स्वप्नविद्या आदि के लक्षणों का इसी प्रकार उल्लेख है। आहारपरिज्ञा :
आहारपरिज्ञा नामक तृतीय अध्ययन में समस्त स्थावर एवं त्रस प्राणियों के जन्म तथा आहार के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन है। इस अध्ययन का प्रारंभ बीजकायों-अग्रबीज, मूलबीज, पर्वबीज एवं स्कन्धबीज-के आहार की चर्चा से होता है।
पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और वनस्पति स्थावर हैं । पशु, पक्षी, कीट, पतंग त्रस हैं । मनुष्य भी त्रस है । मनुष्य की उत्पत्ति कैसे होती है, इसका निरूपण भी प्रस्तुत अध्ययन में है । मनुष्य के आहार के विषय में इस अध्ययन में यों बताया गया है : ओयणं कुम्मासं तसथावरे य पाणे अर्थात् मनुष्य का आहार ओदन, कुल्माष एवं त्रस व स्थावर प्राणी हैं। इस सम्पूर्ण अध्ययन में सूत्रकार ने देव अथवा नारक के आहार की कोई चर्चा नहीं की है। नियुक्ति एवं वत्ति में एतद्विषयक चर्चा है। उनमें आहार के तीन प्रकार बताये गये हैं : ओजआहार रोमआहार और प्रक्षेपआहार । जहाँ तक दृश्य शरीर उत्पन्न न हो वहाँ तक तैजस एवं कार्मण शरीर द्वारा जो आहार ग्रहण किया जाता है वह ओजहार है। अन्य आचार्यों के मत से जब तक इन्द्रियाँ श्वासोच्छवास, मन आदि का निर्माण न हुआ हो तब तक केवल शरीरपिण्ड द्वारा जो आहार ग्रहण किया जाता है वह ओजआहार कहलाता है। रोमकूप द्वारा चमड़ी द्वारा गृहीत आहार का नाम रोमाहार है । कवल द्वारा होने वाला आहार प्रक्षेपाहार है । देवों व नारकों का आहार रोमाहार अथवा लोमाहार कहलाता है। यह निरन्तर चालू रहता है । इस विषय में अन्य आचार्यों का मत यह है-जो स्थूल पदार्थ जिह्वा द्वारा इस शरीर में पहुँचाया जाता है वह प्रक्षेपाहार है । जो नाक, आँख, कान द्वारा ग्रहण किया जाता है एवं धातुरूप से परिणत होता है वह ओजआहार है तथा जो केवल चमड़ी द्वारा ग्रहण किया जाता है वह रोमाहार-लोमाहार है।
बौद्ध परम्परा में आहार का एक प्रकार कवलीकार आहार माना गया है जो गन्ध, रस एवं स्पर्शरूप है। इसके अतिरिक्त स्पर्शआहार, मनस्संचेतना एवं विज्ञानरूप तीन प्रकार के आहार और माने गये हैं । कवली कार आहार दो प्रकार का है । औदारिक-स्थूल आहार और सूक्ष्म आहार । जन्मान्तर प्राप्त करते
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