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________________ विनोदीलाल नेमिजी देखता - इसमें नेमीश्वर के विवाहार्थं आने से लेकर राजुल के स्त्रीलिंग को छेदकर स्वर्ग जाने तक की अनेक बातों का मुक्तक छंदों में वर्णन है । ' रेखता का उदाहरण देखिये गिरनेरगढ़ सुहाया, सुख दिल पसंद आया, तहाँ जोग चित्त लाय तन कहाँ गया है । शुभ ध्यान चित्त दीन्हा नवकार मंत्र लीन्हा, परहेज कर्म किया है, स्त्रीलिंग छेद कीन्हा पुल्लिंग पद लीन्हा, ससदेह स्वर्ग पहुँची ललितांग पद भया है, खुस रेखते बनाये लाल विनोदी गाये अनुसाफ दर्प ढाते, राजु का भया है । नेमिनाथ मंगल (सं० १७४२) इसमें राजकुमार नेमिनाथ का त्याग - तप और उसके द्वारा तीर्थंकर पद तक पहुंचने का वर्णन गेय एवं सरस शैली में किया गया है । रचनाकाल --अरी यह संवत सुनहु रसाला हां, अरी सत्रह से अधिक बयाला हां । ४७७ मि के बरात का वर्णन देखिये अरी सब घोरे सरस बनाये हाँ । अरी फूलन की पाखरी झारी हाँ । अरी मखमल के जीन बनाये हाँ । अरी कुन्दन सो जरित जरा हाँ । कुंदन सो जरित जराइ राषे हेमनाल मढ़ाइया; आन द्वारे करे ठाढ़े नैमकुंमर चढ़ाइया । १ प्रभात जयमाल को मंगल प्रभात और नेमिनाथ जी का मंगल भी कहते हैं । इसकी रचना सं० १७४४ में हुई । इसमें भगवान् नेमिनाथ की भक्ति में कतिपय मुक्तक पद्यों का निर्माण किया है। सभी पद्य । १. उत्तमचन्द जैन की ग्रन्थसूची - प्राप्तिस्थान पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी २. डा० लालचन्द जैन- जैन कवियों के ब्रजभाषा प्रबन्ध काव्यों का अध्ययन पृ० ७२-७३ । ३. वही पृ० ७६-७७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002092
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages618
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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